महिला स्वतंत्रता सेनानी नारायणी देवी वर्मा
▶ नारायणी देवी का जन्म मध्य प्रदेश के सिंगोली गांव् में रामसहाय भटनागर के यहाँ हुआ।
▶बारह वर्ष की अल्पायु में ही उनका विवाह माणिक्यलाल वर्मा के साथ कर दिया गया ।
▶किसानों व आम जनता पर राजा जागीरदारों के अत्याचार देखकर माणिक्यलाल वर्मा ने आजीवन किसानों, दलितों व गरीबों को सेवा का संकल्प लिया तो नारायणी देवी इस व्रत में उनकी सहयोगिनी बनी।
▶माणिक्यलाल वर्मा के जेल जाने पर परिवार के पालन- पोषण के साथ ही नारायणी देवी ने घर-मोहल्लों में जाकर लोगों को पढ़ाना एवं शोषण के खिलाफ महिलाओं को तैयार करने के कार्य किये।
▶नारायणी देवी अपनी सहयोगिनियों के साथ घर-घर जागृति संदेश पहुँचाती और लोगों को बेगार, नशा प्रथा एवं बाल-विवाह के विरुद्ध आवाज उठाने एवं संगठित होकर कार्य करने की प्रेरणा देती।उन्होंने डूंगरपुर रियासत में खड़लाई में भीलों के मध्य शिक्षा प्रसार द्वारा जागृति पैदा करने का कार्य भी किया।
▶1939 ई. में प्रजामण्डल के कार्यों में भाग लेने के कारण उन्हें जेल जाना पड़ा। 1942 ई. में भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लेने के कारण नारायणी देवी को पुनः जेल जाना पड़ा।
▶1944 ई. में वे भीलवाड़ा आ गई और यहाँ 14 नवम्बर, 1944 को महिला आश्रम संस्था की स्थापना की। यहाँ प्रौढ़ शिक्षा व प्रसूति गृह का संचालन भी किया।
▶ वे 1970 से 1976 ई. तक राज्यसभा की सदस्य रहीं।
▶12 मार्च, 1977 को उनकी मृत्यु हुई।
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