• कठपुतली चित्र

    राजस्थानी कठपुतली नृत्य कला प्रदर्शन

रविवार, 28 जून 2015

Rajasthan Current AffairsQuiz - राजस्थान समसामयिक घटनाचक्र क्विज -

1. प्रदेश में नौकरी के लिए आवेदन में किस दिनांक से नोटरी से सत्यापित शपथ-पत्र और न ही राजपत्रित अधिकारी से सत्यापन की आवश्यकता है तथा नागरिक द्वारा स्व प्रमाणित दस्तावेजों को मान्यता दी गई है।
(1) 1 जनवरी, 2015
(2) 1 फरवरी, 2015
(3) 1 मार्च, 2015
(4) 1 मई, 2015
उत्तर- 1
2. राज्य में "ज्योतिबा फुले फल एवं सब्जी मंडी, मुहाना, जयपुर" के परिसर में पृथक से किस की मंडी के प्रागंण की भी स्थापना की गई है?
(1) सोयाबीन मंडी के
(2) धान मंडी के
(3) पुष्प मंडी के
(4) ड्राई फ्रूट मंडी के
उत्तर- 3
3. राजस्थान के डेयरी विभाग के नाम बदल कर क्या कर दिया गया है?
(1) गौ-धन विभाग
(2) गोपालन विभाग
(3) गौ-संरक्षण विभाग
(4) गौ-उत्पाद विभाग
उत्तर- 2
4. अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस कब मनाया जाता है?
(1) 22 मई
(2) 21 जून
(3) 24 जुलाई
(4) 26 मई
उत्तर- 2
5. जयपुर में 3 जून, 2015 को मेट्रो रेल सेवा का प्रारंभ करके जयपुर देश का मेट्रो रेल सेवा वाला कौनसे स्थान का शहर बन गया है ?
(1) पांचवां
(2) छठा
(3) सातवाँ
(4) आठवां
उत्तर- 2
6. राजस्थान के आयुष विभाग द्वारा 13-16 फरवरी, 2015 तक 'राष्ट्रीय आरोग्य मेला 2015' किस शहर में आयोजित हुआ ?
(1) उदयपुर
(2) जोधपुर
(3) कोटा
(4) जयपुर
उत्तर- 4
7. सिंचित क्षेत्र विकास विभाग द्वारा किस हानिकारक खरपतवार के जैविक नियंत्रण हेतु मैक्सीकन कीट zygogramme bicollorata को छोड़कर कर उसे नष्ट करने का अध्ययन किया जा रहा है?
(1) गाजर घास
(2) लेंटेना
(3) बथुआ
(4)विलायती बबूल
उत्तर- 1
8. पुलिस की अपराध शाखा में कौनसा सॉफटवेयर तैयार किया गया है, जिसके माध्यम से सी.आई.डी.(सीबी.) राज. जयपुर द्वारा अनुसंधानरत अभियोगों की पत्रावलियों के वतर्मान स्टेटस की सूचना लेना एवं उनका अपडेशन का कार्य ऑनलाईन किया जा सकेगा?
(1) केस स्टेटस
(2) केस चित्रण
(3) केस दर्पण
(4) आशा सॉफ्ट
उत्तर- 3
9. ई-शुभ लक्ष्मी योजना संबंधित है-
(1) अल्पबचत से
(2) बालिका शिक्षा से (3) खनन रोयल्टी से
(4) बालिका जन्म को प्रोत्साहित करने से
उत्तर- 4
10. 21 जून 2015 को आग लग जाने के कारण कौनसा मंदिर चर्चा में रहा ?
(1) चारभुजा मंदिर, गढ़बोर
(2) केशरियाजी मंदिर, ऋषभदेव
(3) द्वारिकाधीश मंदिर, कांकरोली
(4)रणकपुर मंदिर
उत्तर- 3
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100 Important Fact OfRajasthan Gk - राजस्थान सामान्य ज्ञान 100 महत्वपूर्ण तथ्य

01. माही बजाज सागर परियोजना
से संबंधित बाँध किस जिले में है -
बाँसवाड़ा
02. राज्य के किस भाग में माही व
उसकी सहायक नदियाँ बहती हैं-
दक्षिण भाग
03. किस नदी की दो मुख्य सहायक
नदियाँ एराव और एरन हैं - माही की
04. माही मुख्यतया किस राज्य की
नदी है - गुजरात की
05. माही नदी का उद्गम स्थल
मध्यप्रदेश के किस जिले में विन्ध्याचल
पर्वत में है - धार जिले के
06. राजस्थान में माही नदी का
प्रवाह क्षेत्र किन जिलों में है-
बाँसवाड़ा, प्रतापगढ़ (चित्तौड़गढ़),
व डूंगरपुर
07. माही प्रवाह क्षेत्र के मैदानों
को क्या कहते हैं - छप्पन मैदान
08. माही किस प्रकार की नदी है -
बरसाती नदी
09. माही का प्रवाह किस ओर है -
अरब सागर की ओर
10. माही नदी किस खाड़ी में
गिरती है- खम्भात की खाड़ी में
11. माही नदी पर बाँध के लिए
प्रसिद्ध लोहारिया गाँव किस
जिले में है- बाँसवाड़ा जिले में
12. राष्ट्रीय जल विकास
प्राधिकरण की किस परियोजना में
राजस्थान की काली सिन्ध-
पार्वती-बनास नदियों को जोड़ा
जाना है- नदी जोड़ो परियोजना में
13. काली सिन्ध-पार्वती-बनास
नदियों को किस बाँध से जोड़ा
जाएगा - राणा प्रताप सागर बाँध
14. कौनसी नदी जयपुर के पास
विराटनगर की पहाड़ियों से
निकलकर पूर्वी भाग में बहती है-
बाणगंगा
15. बाणगंगा भरतपुर व धौलपुर में से
बहती हुई उत्तरप्रदेश के किस स्थान के
समीप यमुना में मिलती है -
फतेहाबाद
16. अलवर में रूपारेल और कोटपुतली
तहसील में साबी-सोता नदियाँ हैं ।
17. अलवर क्षेत्र का ढाल पूर्व की ओर
है ।
18. अलवर क्षेत्र की सभी नदियाँ
पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है ।
19. पूर्वी मैदानी प्रदेश की साल भर
बहने वाली प्रमुख नदी चम्बल है ।
20. चम्बल नदी मध्यप्रदेश में
विन्ध्याचल पर्वत के उत्तरी ढाल में
मऊ नामक स्थान से निकलती है ।
21. राजस्थान में चम्बल का प्रवाह
क्षेत्र केवल कोटा, बूँदी और
झालावाड़ जिलों में है ।
22. चम्बल घाटी परियोजना का
राजस्थान व मध्यप्रदेश के आर्थिक
विकास में केन्द्रीय स्थान है ।
23. पार्वती, काली सिन्ध, बामनी
व चन्द्रभागा चम्बल की सहायक
नदियाँ हैं ।
24. चम्बल नदी सवाई माधोपुर व
धौलपुर जिलों में राजस्थान और
मध्यप्रदेश की सीमा बनाती है ।
25. ऊबड़-खाबड़ भूमि, जिसमें रेत के ऊँचे
टीलों के मध्य गहरी घाटियाँ हों,
बीहड़ कहलाती है ।
26. बीहड़ भूमि खेती के लिए सर्वथा
अनुपयुक्त होती है ।
27. सरकार द्वारा कन्दराओं की
भूमि के विकास हेतु बीहड़ क्षेत्र में
वृक्षारोपण करवाया जा रहा है ।
28. चम्बल नदी उत्तरप्रदेश में यमुना में
मिलती है ।
29. ढुन्ड नदी जयपुर जिले से सम्बद्ध है ।
30. बनास व उसकी सहायक नदियाँ
पूर्वी मैदानी प्रदेश में बहती है ।
31. पूर्वी मैदानी प्रदेशों की मुख्य
फसलें गेंहूं, जौ, चना, बाजरा, ज्वार,
सरसों, तिलहन व गन्ना आदि हैं ।
32. बनास नदी का उद्गम स्रोत राजसमन्द जिले में खमनौर की
पहाड़ियों से है ।
33. बनास नदी राजसमन्द,
चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, अजमेर,
टोंक, बूँदी और सवाई माधोपुर
जिलों में बहती है ।
34. बनास नदी सवाई माधोपुर जिले
में खण्डार के समीप चम्बल नदी में
गिरती है ।
35. बनास नदी को ''वन की आशा''
भी कहा जाता है ।
36. बेढ़च, गम्भीरी, कोठारी, खारी
और मुरेल, बनास की सहायक नदियाँ
हैं ।
37. बनास नदी बरसाती नदी है ।
38. बनास नदी के बहाव क्षेत्र में कुओं
द्वारा सिंचाई की जाती है ।
39. राजस्थान का 3/5 भाग
अरावली के उत्तर-पश्चिम में तथा 2/5
भाग दक्षिण-पूर्व में पड़ता है ।
40. अरावली पर्वत मालाएँ पश्चिम से
आने वाली मिट्टी को रोकती हैं ।
41. अरावली पहाड़ के बाएँ भाग में
उत्तरी-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश
तथा दाएँ भाग में मैदानी प्रदेश
पाया जाता है ।
42. वर्षा की दृष्टि से अरावली
पहाड़ का दायाँ भाग, बाएँ भाग
की अपेक्षा ज्यादा समृद्ध है।
43. अरावली पहाड़ का दक्षिण-
पश्चिमी छोर माउण्ट आबू के समीप है

44. अरावली पहाड़ का उत्तरी-
पूर्वी भाग खेतड़ी के पास है ।
45. राजस्थान में अरावली पर्वत का
विस्तार उत्तर-पूर्व से दक्षिण-
पश्चिम की ओर है ।
46. कम ऊँचाई वाले अरावली पर्वत
अजमेर, जयपुर व अलवर जिलों में फैले हैं,
इन जिलों में औसत ऊँचाई 550-670
मीटर तक ।
47. अजमेर में अरावली पर्वत की सबसे
ऊँची पर्वतमाला तारागढ़-870
मीटर , जयपुर में नाहरगढ़ है ।
48. जवाई, लीलरी, जोजरी व सूकड़ी
आदि लूनी की सहायक नदियाँ हैं ।
49. लूनी की सहायक नदियाँ
अरावली की पश्चिमी ढालों से
निकलती है ।
50. अरावली की ढालों पर
विशेषतः मक्का की खेती की
जाती है ।
51. अरावली पर्वत क्षेत्र मुख्यतः
अभ्रक खनन के लिए प्रसिद्ध है ।
52. खेतड़ी का सिंघाना क्षेत्र
ताँबा खनन के लिए जाना जाता है ।
53. खेतड़ी में ताँबा खनन का कार्य
खेतड़ी कॉपर प्रोजेक्ट द्वारा
किया जा रहा है ।
54. जावर जस्ते व सीसे की खानों के
लिए जाना जाता है ।
55. जावर खानों में खनन कार्य भारत
सरकार के उपक्रम हिन्दुस्तान जिंक
लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है ।
56. अरावली पर्वतों का सबसे ऊँचा
शिखर गुरुशिखर (1722 मी.) है ।
57. गुरुशिखर माउण्ट आबू (सिरोही)
में स्थित है ।
58. गुरु शिखर के आसपास की अन्य
चोटियाँ सेर (1597 मी.), अचलगढ. (1380 मी.) और दिलवाड़ा के पश्चिम
में तीन अन्य चोटियाँ ।
59. अरावली पर्वतों की कई
समानान्तर श्रेणियाँ सिरोही,
उदयपुर और डूंगरपुर जिलों में फैली हुई हैं ।
60. राजस्थान का राजकीय खेल
बास्केटबाल है ।
61. मध्यवर्ती अरावली पर्वतीय प्रदेश
सम्पूर्ण उदयपुर व डूंगरपुर जिले में फैला
हुआ है, यह सिरोही, पाली,
बाँसवाड़ा, चित्तौड़गढ़ व अजमेर
जिलों के कुछ भागों में फैला हुआ है ।
62. विश्व के प्राचीनतम पर्वतों में से
एक अरावली पर्वत की अधिकतम
ऊँचाई उदयपुर जिले की कुम्भलगढ़ व
गोगुन्दा तहसीलों में पाई जाती है ।
63. उदयपुर जिले में अरावली पर्वत के
अधिकतम ऊँचाई वाले क्षेत्र को
'भोराठ का पठार' कहा जाता है ।
64. थार का मरुस्थल अरावली
पर्वतीय प्रदेश के सुदूर पश्चिमी भाग व
भारत-पाक सीमा को छूते हुए फैला
हुआ है।
65. जैसलमेर, बीकानेर, जोधपुर, बाड़मेर
व मारवाड़ थार के रेगिस्तान के वे
भाग हैं, जहाँ मरुस्थल उग्र है।
66. धरातल और जलवायु के अन्तरों के
आधार पर राजस्थान राज्य को मोटे
तौर पर चार भागों में बाँटा जाता
है,
· उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय
प्रदेश
· मध्यवर्ती अरावली पर्वतीय
प्रदेश,
· पूर्वी मैदानी प्रदेश व
· दक्षिण-पूर्वी पठारी प्रदेश (हाड़ौती पठार) ।
67. उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश में
राज्य का लगभग 61 प्रतिशत
रेगिस्तानी भाग सम्मिलित है ।
68. उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश में
राज्य के 12 जिले- सम्पूर्ण जैसलमेर,
बाड़मेर, जोधपुर, जालौर, बीकानेर,
श्री गंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, झुंझुनूँ,
नागौर और सीकर, तथा सिरोही,
पाली, अजमेर, और जयपुर जिलों के
उत्तरी पश्चिमी भाग शामिल हैं ।
69. उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश
का पूर्वी भाग ''मारवाड़'' कहलाता
है तथा पश्चिमी भाग ''थार का
रेगिस्तान' ' कहलाता है ।
70. उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश के
अधिकांश भाग में वर्षा का औसत 20
से 50 सेमी . तथा न्यूनतम 10 सेमी. से
भी कम है ।
71. उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश
का गर्मियो में उच्चतम तापमान 48o
सेल्सियस तथा सर्दियों में -3o
सेल्सियस तक पहुँच जाता है ।
72. उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश में
बलुई मिट्टी का अत्यधिक जमाव
पाया जाता है।
73. जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर और
जालौर जिलों में रेत के स्थाई टीले हैं,
जबकि उत्तरी भागों विशेषतः चूरू,
झुंझुनूँ, सीकर और बीकानेर में अस्थाई
टीले हैं, जो तेज हवाओं के साथ
स्थानांतरित होकर सड़क व रेलमार्ग
में बाधा बनते हैं ।
74. उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश
भाग में भूमिगत जल की गहराई 20-100
मीटर तक होती है, अतः बैलों अथवा
ऊँटों को कुओं में जोतकर पानी
निकाला जाता है ।
75. उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश
की एकमात्र नदी लूनी है ।
76. लूनी नदी का उद्गम अजमेर के पास
पुष्कर घाटी के समीप अरावली की
पहाड़ियों मे आनासागर से होता है

77. लूनी नदी पश्चिम मे बहती हुई,
दक्षिण-पश्चिम भाग में 320 किमी.
तक बहकर कच्छ के रण में प्रवेश करती है,
जहाँ इसका पानी फैल जाता है।
78. लूनी बरसाती नदी है ।
79. लूनी नदी का जल दक्षिण बहाव
क्षेत्र में खारा है और पीने व सिंचाई
के अयोग्य है ।
80. अरावली पर्वत के पश्चिम में बहने
वाली लूनी केवल एकमात्र नदी है ।
81. उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश
की मुख्य फसल बाजरा, मूँग, मोठ
आदि थोड़ी वर्षा से पकने वाली हैं ।
82. उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश
का मुख्य धंधा पशु-पालन बन गया है ।
83. उत्तर-पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश में
राठी और थारपारकर नस्ल की गायें,
जो कठिन जलवायु की
परिस्थितियों के अनुकूल हैं, पाई
जाती हैं ।
84. मरुस्थलीय प्रदेश में कुछ स्थानों पर
छोटी-छोटी पहाड़ियाँ भी
होती हैं ।
85. मरुस्थलीय प्रदेश मे जैसलमेर के समीप
पीला पत्थर निकाला जाता है ।
86. मरुस्थलीय प्रदेश मे जोधपुर के पास
लाल रंग का इमारती बलुआ पत्थर
निकाला जाता है ।
87. मरुस्थलीय प्रदेश मे डेगाना (नागौर) भारत का एकमात्र टंगस्टन
उत्पादक क्षेत्र है ।
88. मरुस्थलीय प्रदेश मे टंगस्टन के
अलावा जिप्सम और रॉक फास्फेट
खनिजों के विशाल भण्डार हैं ।
89. काली सिन्ध व पार्वती
नदियों डीप चैनल के जरिए बाँध
बनाकर भीलवाड़ा में जहाजपुर के
पास लाकर बनास से जोड़ा जाएगा

90. फतेहाबाद (उ.प्र.) के निकट
बाणगंगा नदी यमुना में गिरती है ।
91. उत्तर प्रदेश में यमुना में गिरने
वाली राज्य की दूसरी मुख्य नदी
चम्बल है।
92. खमनौर की पहाड़ियाँ उदयपुर
जिले में हैं ।
93. खण्डार नामक स्थल सवाई
माधोपुर जिले में है ।
94. खम्भात की खाड़ी में गिरने
वाली नदी बनास है ।
95. राज्य की अंतरराष्ट्रीय सीमा
पर 04 जिले (बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर
व श्री गंगानगर) स्थित हैं ।
96. राज्य की अंतरराज्यीय सीमा
05 राज्यों (पंजाब, गुजरात,
हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश) को
छूती है ।
97. हरियाणा राजस्थान की उत्तर-
पूर्वी सीमा पर स्थित है ।
98. उत्तरी सीमा पर पंजाब स्थित है

99. पूर्वी सीमा पर उत्तरप्रदेश स्थित
है ।
100. राजस्थान भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिम भाग में स्थित है ।
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Banganga Fair of Rajasthan राजस्थान का बाणगंगा मेला -

राजस्थान का 'बाणगंगा मेला'
प्रतिवर्ष वैशाख माह (अप्रैल-मई) की पूर्णिमा के दिन जयपुर जिले की ऐतिहासिक नगरी
'बैराठ' (विराटनगर) से 11 किलोमीटर की दूरी पर बाणगंगा नामक एक छोटी नदी के पास आयोजित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह जलधारा पांच पांडवों में से एक अर्जुन द्वारा निर्मित की गई है। कहते हैं कि महाभारत काल में जब भीष्म पितामह शर-शय्या पर थे तब उनकी प्यास बुझाने के लिए अर्जुन ने एक बाण पृथ्वी में मार कर जलधारा उत्पन्न की थी। अतः यह मान्यता है कि उनके बाण से उत्पन्न यह जलधारा ही ' बाणगंगा ' नदी के नाम से विख्यात हो गई। भौगोलिक दृष्टि से बैराठ नामक स्थान की पहाड़ियां ही बाणगंगा नदी का उदगम् स्थल है। बैराठ जयपुर से 85 किलोमीटर दूर है। यह शाहपुरा के निकट जयपुर से अलवर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 पर एक मोड़ के पास है। इस स्थान पर जाने के लिए जयपुर और उक्त मोड़ से नियमित बस सेवा उपलब्ध है। उक्त मोड़ से लगभग एक किलोमीटर दूर बाणगंगा स्थित है।
इस पवित्र स्थल पर भरने वाले इस मेले में अलवर, बहरोड़, जयपुर, भरतपुर और कई अन्य स्थानों से हजारों की संख्या में तीर्थयात्री आते हैं। वैशाख पूर्णिमा के दिन लगने वाले इस मेले में पवित्र नदी में स्नान करने और पवित्र स्थल पर जाकर पूजा करने को बहुत शुभ माना जाता है। कुछ लोग मानते हैं कि महाभारत काल से ही यह मेला लगता है किन्तु संस्कृति विशेषज्ञ मानते हैं कि लगभग 200 वर्ष पूर्व जयपुर के नन्दराम बक्षी ने यहाँ राधाकृष्ण मंदिर का निर्माण करवाया था, तब से यह मेला लगातार आयोजित किया जाता है।
तीर्थ यात्रा के लिए मेले में आने वालों श्रद्धालुओं को अपने माल को बेचने के लिए विभिन्न समुदायों के व्यापारी मेले में भी इस मेले में पहुंचते हैं तथा हाट-बाजार लगाते हैं। इस मेले में ग्रामीणों के लिए उपयोगी साधारण गहनों से लेकर खिलौने, परंपरागत कलात्मक वस्तुएं व शिल्प तथा घरेलू कामकाज की वस्तुओं का भारी मात्रा में क्रय-विक्रय होता है। मेले में स्वादिष्ट राजस्थानी व्यंजन की भी दुकाने लगती है जहाँ लोग खाने-पीने का आनंद भी लेते है।
विशाल चकरी झूले और अन्य मनोरंजन के साधन बच्चों के साथ ही वयस्कों को भी रोमांचक अनुभव प्रदान करते हैं। क्रय-विक्रय, स्वाद व मनोरंजन के विभिन्न क्रियाकलापों के कारण होने वाली मेलार्थियों की अद्भुत सांस्कृतिक हलचल इस अनूठे मेले के उत्सव के माहौल में अभिवृद्धि करते हैं।
यह मान्यता है कि इस अवसर पर बाणगंगा नदी में स्नान करने से
आत्मा का शुद्धिकरण हो जाता है तथा पुण्य की प्राप्ति होती है। इसलिए बाणगंगा नदी के घाट पर स्नान करने का सबसे पहले अवसर प्राप्त करने हेतु भक्तजन अलसुबह से ही यहाँ स्थित श्री राधाकृष्णजी के मंदिर में इकठ्ठा होना प्रारंभ हो जाते हैं। इसके पश्चात् भक्त लोग पास के हनुमानजी और गंगाबिहारी के मंदिरों में दर्शनों के लिए आगे बढ़ते हैं। मेलार्थी यहाँ स्थित शिव मंदिर व गोस्वामीजी के मठ पर भी जाते हैं।


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Sitabari Fair of Baran, Rajasthan सीताबाड़ी का मेला, बारां (राजस्थान)

सीताबाड़ी का वार्षिक मेला बारां जिले की शाहबाद तहसील के केलवाड़ा गांव के पास सीताबाड़ी नामक स्थान पर आयोजित किया जाता है। इस स्थान पर यह 15 दिवसीय विशाल मेला ज्येष्ठ महीने की अमावस्या (बड़ पूजनी अमावस) के आसपास भरता है। 15 दिनों का ये मेला अपने पूर्ण परवान पर अमावस्या के दिन ही चढ़ता है तथा इस दिन ही भारी संख्या में लोग उमड़ते हैं। केलवाड़ा गाँव से कोटा की दूरी 117 किलोमीटर है तथा सीताबाड़ी स्थान बारां जिले के केलवाड़ा ग्राम से लगभग मात्र 1 किमी की दूरी पर है। तीर्थ यात्रियों के आवागमन के लिए कई बसें इस मार्ग पर चलाई जाती हैं। मेले के समय हजारों की संख्या में यात्रियों के यहाँ आने के कारण बसों की संख्या वृद्धि की जाती है। यहाँ से निकटतम रेलवे स्टेशन बारां है जो केलवाड़ा से 75 किलोमीटर की दूरी पर है।
सहरिया जनजाति का कुंभ -
यह मेला दक्षिण-पूर्वी राजस्थान की 'सहरिया जनजाति' के सबसे बड़े मेले के रूप में जाना जाता है। सहरिया जनजाति के लोग इस मेले में उत्साह पूर्वक भाग लेते हैं। इसे ''सहरिया जनजाति के कुंभ'' के रूपमें भी जाना जाता है। इस मेले में सहरिया जनजाति के लोगों की जीवन शैली का अद्भुत प्रदर्शन देखने को मिलता है।
धार्मिक आस्था का अनूठा स्थल-
कहा जाता है कि रामायण काल में जब भगवान राम ने अपनी पत्नी सीता का परित्याग कर दिया था तब सीताजी को उनके देवर लक्ष्मण जी ने उनके निर्वासन की अवधि में सेवा के लिए इसी स्थान पर जंगल में वाल्मीकि ऋषि के आश्रम में छोड़ा था। एक किंवदंती है कि जब सीताजी को प्यास लगी तो सीताजी के लिए पानी लाने के लिए लक्ष्मणजी ने इस स्थान पर धरती में एक तीर मार कर जलधारा उत्पन्न की थी, जिसे 'लक्ष्मण बभुका ' कहा जाता है। इस जलधारा से निर्मित कुंड को 'लक्ष्मण कुंड' कहा जाता है। यहाँ और भी कुंड स्थित है, जिनके जल को बहुत पवित्र माना जाता है। अक्सर भक्त लोग इनमें स्नान करते एवं पवित्र डुबकी लेते देखे जा सकते हैं। इस मेले में भाग लेने आने वाले श्रद्धालु यहाँ स्थित 'वाल्मीकि आश्रम' में भी जाते हैं। लोग यह भी मानते हैं कि रामायण काल में सीताजी के निर्वासन काल में ही प्रभु श्रीराम और सीता के जुड़वां पुत्रों 'लव तथाकुश' का जन्म वाल्मीकि ऋषि के इसी आश्रम में हुआ था। यह दो सीधेपत्थरों को खड़ा करके बनाई गई एक बहुत ही सरल क्षैतिज संरचना है। सहरिया जनजाति के लोग अपनी सबसे बड़ी जाति-पंचायत का आयोजन भी वाल्मीकि आश्रम में ही करते हैं। लव-कुश जन्म स्थान होने के कारण सीता बाड़ी को 'लव-कुश नगरी' भी कहा जाता है। मेलार्थी यहाँ स्थित कुंडों में अपने शरीर एवं आत्मा की शुद्धि के लिए पवित्र स्नान करते हैं और फिर यहाँ स्थापित विभिन्न देवी-देवताओं की प्रतिमाओं की पूजा-अर्चना करते हैं। यहाँ स्थित सबसे बड़ा कुंड 'लक्ष्मण कुंड' है, जिसका एक द्वार 'लक्ष्मण दरवाजा ' कहा जाता है। इसके पास भगवान हनुमानजी की सुन्दर मूर्ति स्थापित है। एक अन्य कुंड 'सूरज कुंड' है जिसका नाम सूर्य देवता के नाम पर रखा गया है। सूरज कुंड चारों ओर से बरामदे से घिरा
हुआ है। जो लोग अपने मृत परिजनों के दाह संस्कार उपरांत उनकी भस्म एवं.अस्थियों को गंगाजी में तर्पण के लिए नहीं ले जा सकते हैं, वे इस कुंड से बाहर बहने पानी में अपने परिजनों की.भस्म प्रवाहित करके उनका तर्पण करते हैं। इस कुंड के एक कोने में 'शिवलिंग ' भी स्थापित है। यहाँ अन्य कुंडों में 'सीता कुंड','भरत कुंड' एवं वाल्मीकि कुंड प्रमुख हैं। सीताबाड़ी में कई मंदिर है। मेले के दौरान यहाँ स्थित लक्ष्मण मंदिर सहित अन्य कई मंदिरों में दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है। यहाँ पास के जंगल में सीता कुटी मंदिर भी स्थित है, जहाँ माना जाता है कि सीता जी यहाँ भी
रुकी थी।

 सहरिया जनजाति का स्वयंवर समारोह-
यह मेला सहरिया जनजाति के युवाओं के विवाह के लिए 'विशिष्ट स्वयंवर' के आयोजन के लिए भी
पहचाना जाता है स्वयंवर के आयोजन के लिए इस मेले में सहरिया जनजाति के लोग अपने विवाह योग्य बच्चों.को साथ में लेकर आते हैं। स्वयंवर शुरूकरने के लिए किसी योग्य लड़के द्वारा एक रूमाल छोड़ा जाना आवश्यक है।.रूमाल छोड़ने की क्रिया को उसी समुदाय की लड़की के साथ विवाह करने के प्रस्ताव का प्रतीक माना.जाता है। यदि उस लड़की को शादी.का प्रस्ताव स्वीकार होता है तो वह उस रूमाल को उठा लेती है। जब लड़का और लड़की दोनों एक बार एक दूसरे से विवाह करने के लिए सहमत हो जाते हैं तो वे एक बरनावा के पेड़ के चारों ओर सात फेरे लेते है और विवाह संपन्न हो जाता है। फेरे लेने के पश्चात् उन्हें अपने बुजुर्गों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना आवश्यक हैं, तत्पश्चात ही उन्हें शादीशुदा घोषित किया जाता है।

उत्सव आयोजन का रोमांच-
धार्मिक तीर्थयात्रियों के विशाल जमावड़े के अलावा आस- पास के जिलों के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों से अपना माल बेचने के लिए आने वाले व्यापारियों द्वारा लगाए जाने वाले हाट- बाज़ार भी इस मेले का मुख्य आकर्षण हैं। इस मेले में झालावाड़, अकलेरा, बूंदी, कोटा, भीलवाड़ा और नागौर आदि स्थानों से कई पशुपालक अपने उत्तम नस्ल के पशुओं को बिक्री हेतु लेकर आते हैं। मेले के दौरान सीताबाड़ी में परकोटे के अंदर लगे मनोरंजन के साधन डोलर, झूले, चकरी, मौत का कुआं सहित मनिहारी, चूड़ी, कपड़ा, खिलौनों की दुकानों पर भीड़ उमडऩे लगती है। मेले में आदिवासी अलबेले युवक-युवतियां हाथों में मशीन से नाम गुदवाने व नाम लिखी अंगूठियां खरीदने में भी अत्यधिक रुचि लेते हैं। अक्सर इस मेले में प्रतिदिन शाम व रात के समय अधिक रौनक दिखाई देती है।



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सोमवार, 15 जून 2015

Exam Guidance Quiz, Part-5-परीक्षा मार्गदर्शन प्रश्नोत्तरी, भाग-5

1. राजस्थान का पहला बाघ परियोजना क्षेत्र (टाईगर प्रोजेक्ट) कौनसा है?
a. सरिस्का
b. रणथंभौर
c. कान्हा-किस्ली
d. रावली-टाडगढ़
उत्तर- b रणथंभौर
2. राजस्थान का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान कौनसा है?
a. सरिस्का
b. रणथंभौर
c. कान्हा-किस्ली
d. रावली-टाडगढ़
उत्तर- b रणथंभौर
3. राजस्थान का सबसे बड़ा आखेट निषिद्ध क्षेत्र कौनसा है?
a. सैथलसागर (दौसा)
b. साथीन (जोधपुर)
c. संवत्सर-कोटसर (बीकानेर)
d. धावा डोली (जोधपुर)
उत्तर- c. संवत्सर-कोटसर (बीकानेर)
4. सीतामाता अभयारण्य किन दो जिलों में विस्तृत है -
a. प्रतापगढ व उदयपुर
b. डूंगरपुर व उदयपुर
c. प्रतापगढ व चित्तौड़गढ़
d. प्रतापगढ व बाँसवाड़ा
उत्तर- a. प्रतापगढ व उदयपुर
5. राजस्थान का कौनसा अभयारण्य जलीय पक्षियों की प्रजनन स्थली के रूप में प्रसिद्ध अभयारण्य है?
a. सरिस्का
b. रणथंभौर
c. केवलादेव
d. चंबल अभयारण्य
उत्तर- d. चंबल अभयारण्य
6. राजस्थान का कौनसा अभयारण्य जंगली मुर्गे के लिए प्रसिद्ध है?
a. रणथम्भौर अभयारण्य
b. माऊंट आबू अभयारण्य
c. सीतामाता अभयारण्य
d. तालछापर अभयारण्य
उत्तर- b. माऊंट आबू अभयारण्य
7. राजस्थान के किस अभयारण्य में मोर का सर्वाधिक घनत्व है?
a. रणथम्भौर अभयारण्य
b. सरिस्का अभयारण्य
c. सीतामाता अभयारण्य
d. रावली-टाडगढ़ अभयारण्य
उत्तर- b. सरिस्का अभयारण्य
8. राजस्थान के सबसे छोटे आखेट निषिद्ध क्षेत्र का नाम क्या है?
a. सैथलसागर (दौसा)
b. साथीन (जोधपुर)
c. संवत्सर-कोटसर (बीकानेर)
d. धावा डोली (जोधपुर)
उत्तर- a. सैथलसागर (दौसा)
9. राजस्थान का कौनसा अभयारण्य हरे कबूतर के लिए प्रसिद्ध है?
a. रणथम्भौर अभयारण्य
b. माऊंट आबू अभयारण्य
c. केवलादेव पक्षी अभयारण्य
d. सरिस्का अभयारण्य
उत्तर- d. सरिस्का अभयारण्य
10. राजस्थान का कौनसा अभयारण्य उड़न गिलहरी के लिए प्रसिद्ध है?
a. सीतामाता अभयारण्य
b. माऊंट आबू अभयारण्य
c. केवलादेव पक्षी अभयारण्य
d. सरिस्का अभयारण्य
उत्तर- a. सीतामाता अभयारण्य
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