जवाई बांध |
मंगलवार, 1 दिसंबर 2020
सुमेरपुर शहर -किराणा का सामान तथा ऑटोमोबाइल के लिए प्रसिद्ध (Sumerpur city)
रविवार, 22 नवंबर 2020
परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह (Major Shaitan Singh)
परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह (Major Shaitan Singh)
परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह
आरंभिक जीवन
चोपासनी स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्रारंभ कर मेजर शैतान सिंह ने 1947 में जसवंत कॉलेज जोधपुर में बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा उसी वर्ष जोधपुर राज्य की सेना 'दुर्गा होर्स' में कैडेट के रूप में भर्ती हो गए। वर्ष 1955 में उन्हें कमीशन मिलने पर कैप्टन बनाकर कुमायूं रेजिमेंट में भेज दिया गया। 1961 के गोवा मुक्ति अभियान में भाग लेकर उन्होंनेजो कर्तव्य परायणता दिखाई उसके उपलक्ष्य में उन्हें मेजर पद की पदोन्नति दी गई। 1962 में भारत चीन युद्ध छेड़ने पर उनकी रेजिमेंट को जम्मू कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में सीमाओं की रक्षा के लिए तैनात किया गया। 18000 फीट की ऊंचाई पर लद्दाख की पहाड़ियों के बीच रेजांगला चुशूल क्षेत्र में जहां तापमान 0 डिग्री से 20 से 30 डिग्री नीचे चला जाता है हार्ड कंपा देने वाली सर्दी के बीच रलगिला के पास कंपनी ने मोचाबंदी व चीनियों के आक्रमण से चुशूल हवाई पट्टी में संपर्क सड़क की रक्षा का दायित्व उनकी टुकड़ी को सौप दिया गया।
विरासत में मिली वीरता
चीन के हमले का मुंह तोड दिया जवाब
18 नवंबर 1962 सुबह होने को थी । बर्फीला घुंधलका पसरा था। सूरज 17,000 फीट की ऊंचाई तक अभी नहीं चढ़ सका था। लद्दाख में ठंडी और कलेजा जमा देने वाली हवाएं चल रही थीं। यहां सीमा पर भारत के पहरुए मौजूद थे। 13 कुमायूं बटालियन की सी' कम्पनी चुशूल सेक्टर में तैनात थी। बटालियन में 120 जवान थे, जिनके पास इस पिघला देने वाली ठंड से बचने के लिए कुछ भी नहीं था। वो इस माहौल के लिए नए थे।इसके पहले उन्हें इस तरह बर्फ के बीच रहने का कोई अनुभव न था। तभी सुबह के धुंधलके में रेजांग ला (रेजांग पास ) पर चीन की तरफ से कुछ हलचल शुरू हुई। बटालियन के जवानों ने देखा कि उनकी तरफ रोशनी के कुछ गोले चले आ रहे हैं। टिमटिमाते हुए। बटालियन के अगुआ मेजर शैतान सिंह थे। उन्होंने गोली चलाने का आदेश दे दिया। थोड़ी देर बाद उन्हें पता चला कि ये रोशनी के गोले असल में लालटेन हैं। इन्हें कई सारे याक के गले में लटकाकर चीन की सेना ने भारत की तरफ भेजा था ये एक चाल थी। अक्साई चीन को लेकर चीन ने भारत पर हमला कर दिया था। चीनी सेना पूरी तैयारी से थी। ठंड में लड़ने की उन्हें आदत थी और उनके पास पर्याप्त हथियार भी थे। जबकि भारतीय टुकड़ी के पास 300-400 राउंड गोलियां और 1000 हथगोले ही थे। बंदूकें भी ऐसी जो एक बार में एक फायर करती थीं। इन्हें दूसरे वर्ल्ड-वार के बाद बेकार घोषित किया गया था। चीन को इस बात की जानकारी थी। इसीलिए उसने टुकड़ी की गोलियां खत्म करने के लिए ये चाल चली थी। चीन के सैनिकों ने आगे बढ़ना शुरू कर दिया था।
मेजर शैतान सिंह ने वायरलेस पर सीनियर अधिकारियों से बात की मदद मांगी। सीनियर अफसरों ने कहा कि अभी मदद नहीं पहुंच सकती। आप चैकी छोड़कर पीछे हट जाएं। अपने साथियों की जान बचाएं। मेजर इसके लिए तैयार नहीं हुए। चैकी छोड़ने का मतलब था हार मानना। उन्होंने अपनी टुकड़ी के साथ एक छोटी सी मीटिंग की। सिचुएशन की ब्रीफिंग दी। कहा कि अगर कोई पीछे हटना चाहता हो तो हट सकता है लेकिन हम लड़ेंगे। गोलियां कम थीं। ठंड की वजह से उनके शरीर जवाब दे रहे थे। चीन से लड़ पाना नामुमकिन था। लेकिन बटालियन ने अपने मेजर के फैसले पर भरोसा दिखाया। दूसरी तरफ से तोपों और मोटारों का हमला शुरू हो गया। चीनी सैनिकों से ये 123 जवान लड़ते रहे। दस-दस चीनी सैनिकों से एक-एक जवान ने लोहा लिया। इन्हीं के लिए कवि प्रदीप ने लिखा 'दस-दस को एक ने मारा, फिर गिर गए होश गंवा के...जब अंत समय आया तो कह गए कि हम चलते हैं.. खुश रहना देश के प्यारों, अब हम तो सफर करते हैं...।'
राजस्थान की वीर प्रसूता धरती ने अपने यहां अनेक शूर वीरों को जन्म दिया है, जिन्हें अपनी वीरता एवं साहस के लिए सदैव याद किया जाता है। |ऐसे वीरों में परमवीर मेजर शैतान सिंह का नाम अग्रणी है जिन्हें 1962 में भारत चीन युद्ध में दिखाई गई वीरता व साहस के लिए याद किया जाता है।
18 नवंबर 1962 की भोर वली में 3000 चीनी सैनिकों ने पूरी तैयारी के साथ रेजांगला की सैनिक चोटी पर हमला बोल दिया जहां मेजर शैतान सिंह की प्लाटुन तैनात थी। तीन तरफ से टिड्डी दल की तरह चीनी सैनिक आगे बढ़ रहे थे तथा भारत की भूमि पर कब्जा जमाने की फिराक में थे। दोनों तरफ से भयंकर युद्ध में मेजर शैतान सिंह ने अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया वह धैर्य नहीं खोकर साहस से चीनियों का मुकाबला किया जिससे भारी संख्या में चीनी हताहत हुए। लेकिन उनकी जगह लेने दूसरे चीनी सैनिक पहुंच जाते। मात्र 123 सैनिक की भारतीय कंपनी जो 3 प्लाटों में बंटी हुई थी इस युद्ध में कड़ा मुकाबला कर रही थी। मेजर शैतान सिंह साहस के साथ युद्ध के दौरान एक खाई से दूसरी व दूसरी से तीसरी खाई में जाकर अपने सैनिकों का हौसला अफजाई कर रहे थे। लेकिन शत्रु सैनिकों की भारी तादाद व लगातार गोलीबारी के कारण अधिकांश भारतीय सैनिक मारे गए व मात्र शेष बचे दो सैनिकों के साथ मेजर शैतान सिंह शत्रुओं से अभी भी मुकाबला कर रहे थे. तभी एक गोली उनकी छाती में लगी तब दोनों सैनिकों ने सुरक्षित स्थान पर ले जाने को आतुर हुए। लेकिन मेजर साहब न उन्हें सुरक्षित स्थान पर जाने की हिदायत देते हुए स्वंय वहीं रहने का संकल्प किया व रक्त की अंतिम बूंद तक शत्रु से लड़ते हुए परम वीरगति को प्राप्त हुए।
तीन माह बाद मिला शव
परमवीर चक्र से सम्मानित
बुधवार, 18 नवंबर 2020
वास्तानेश्वर महादेव मंदिर सिरोही (वास्तानजी)Vastaneshwar Mahadev Temple Sirohi Vastanji
वास्तानेश्वर महादेव मंदिर सिरोही Vastaneshwar Mahadev Temple Sirohi
वास्तानेश्वर महादेव मंदिर सिरोही
अकाल के कारण आए आबू
मुनि बाबा के चमत्कार
मंगलवार, 17 नवंबर 2020
सिरोही जिले का सबसे बड़ा बांध "पश्चिमी बनास बांध" West Banas Dam"
सिरोही जिले का सबसे बड़ा बांध "पश्चिमी बनास बांध" West Banas Dam"
सिरोही जिले का सबसे बड़ा बांध "पश्चिमी बनास बांध"
सिरोही जिले का सबसे बड़ा पश्चिमी बनास बांध है। इसकी भराव क्षमता 1380 एमसीएफटी फीट है। इस बांध से दो नहरें निकलती हैं जिनसे पिण्डवाड़ा व आबूरोड तहसील के 36 गांवों की भूमि सिंचित होती है इस बांध के ओवरफ्लो का पानी गुजरात के दांतीलाड़ा बांध में जाता है। ऐसा भी कहा जाता कि जब इसका ओवरफ्लो बढ़ जाता है या बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है तो जिले की सीमा से लगते गुजरात के गांवों को खाली करवाया जाता है।
इससे दो नहर निकली है, इसमें एक आरएमसी जिसकी लम्बाई 34.74 किलोमीटर व दूसरी एलएमसी जिसकी लम्बाई 21.64 किलोमीटर निकलती है। इन्ही में से 5 माईनर कैनाल जिसमें तीन पिण्डवाड़ा तहसील के फूलाबाई खेड़ा, अचपुरा व सांगवाड़ा तथा दो आबूरोड तहसील में मूंगथला व क्यारिया पंचायत तक जाती है।
इस बांध के पानी से पिण्डवाड़ा व आबूरोड तहसील के 36 गांवों कि 7952 हैक्टेयर भूमि में सिंचाई होती है। पानी वितरण के लिए कमेटी का गठन किया गया है इसका पानी केवल सिंचाई के लिए उपयोग में लिया जाता है। जल प्रबंधन में सहभागिता के लिए 8 जल उपभोक्ता संगम व 2 जल वितरण प्रबंधन समिति का गठन किया गया है।
सोमवार, 16 नवंबर 2020
माउंट आबू हिल स्टेशन "राजस्थान का कश्मीर" Mount Abu
माउंट आबू हिल स्टेशन "राजस्थान का कश्मीर" Mount Abu
माउंट आबू हिल स्टेशन "राजस्थान का कश्मीर"
प्रदेश का एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू, जिसे राजस्थान का कश्मीर भी कहा जाता है। पर्यटन क्षेत्र में अपनी अलग ही पहचान है।पर्यटकों के बढ़ते रूझान को देखते हुए यहां पर नए पर्यटक स्थल भी विकसित किए जा रहे हैं। 2019 में 29 साल बाद सेल्फी पाइंट के रूप में 18वां पर्यटक स्थल स्थपापित किया गया था और इसके बाद 101 फीट ऊंचा तिरंगा लगाया गया, जो जिले का सबसे बड़ा तिरंगा था। नक्की झील से लेकर गुरु शिखर तक की वादियों पर्यटकों को पसंद आ रही है। माउंटआबू में नक्कीलेक, टॉड रॉक, हनीमून पाइंट, गौरव पथ, अधरदेवी, देलवाड़ा जैन मंदिर, गुरु शिखर, सनसेट पाइंट, रसिया बालम, पांडव गुफा, नीलकंठ मंदिर, शंकर मठ, रघुनाथ मंदिर, ओम शांतिभवन व ब्रह्मकुमारी म्यूजियम समेत कुल 18 टूरिस्ट पॉइंट हैं।
गुरु शिखर
अचलगढ़ मंदिर
देलवाड़ा जैन मंदिर
अधरदेवी मंदिर
नक्की लेक
सेल्फी पॉइंट
नेशनल पार्क
अद्भुत रॉक
इतने प्रकार की है रॉक
एलीफैंट रॉक, जो दिखती है हाथी की तरह
मदर रॉक, मां की ममता का प्रतीक
टोड रॉक,जो ट्रैकिंग के लिए मशहूर
धोती खेड़ा रॉकः
रविवार, 15 नवंबर 2020
इसरो के विभिन्न केंद्र एवं प्रतिष्ठान
इसरो के विभिन्न केंद्र एवं प्रतिष्ठान
शनिवार, 14 नवंबर 2020
राजस्थान जनआधार योजना 2019 (एक नंबर,एक कार्ड ,एक पहचान ) Janaadhar yojana 2019
राजस्थान जनआधार योजना 2019 (एक नंबर,एक कार्ड ,एक पहचान )
उद्देश्य
• नकद लाभ प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से तथा गैर-नकद लाभ आधार/जन-आधार अधिप्रमाणन उपरान्त देय।
• राज्य के निवासियों को जनकल्याण की योजनाओं के लाभ उनके घर के समीप उपलब्ध कराना तथा ई-कॉमर्स और बीमा सुविधाओं का ग्रामीण क्षेत्रों में विरतार करना
• ई-मित्र तंत्र का विनियमन द्वारा नियंत्रण व प्रभावी संचालन करना।
• राज्य में विद्यमान तकनीकी तथा इलेक्ट्रॉनिक ढाँचे का विस्तार एवं सुदृढीकरण किया जाना।
• महिला सशक्तिकरण एवं वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना।
• सरकार द्वारा प्रदत्त जनकल्याण के लाभों की योजनाओं हेतु परिवार/परिवार के सदस्यों की पात्रता का निर्धारण करना। विभिन्न योजनाओं के लाभ प्राप्ति के समय आधार अधिप्रमाणन को लाभार्थी के जीवितता प्रमाण-पत्र के रूप में मान्यता देना।
जन-आधार पंजीयन व जन-आधार कार्ड
नकद व गैर-नकद लाभों की प्रदायगी
घर के नजदीक लाभ हस्तांतरण हेतु सेवाओं का विस्तार
ई-मित्र परियोजना का विस्तार
पोर्टल्स का एकीकरण
राजस्थान जन-आधार योजना में पंजीयन एवं कार्ड वितरण
शुक्रवार, 13 नवंबर 2020
राजस्थान RSSB पटवार सीधी भर्ती परीक्षा 2019 विस्तृत पाठ्यक्रम (Rajasthan Patwar Exam 2019 syllabus)
राजस्थान RSSB पटवार सीधी भर्ती परीक्षा 2019 विस्तृत पाठ्यक्रम (Rajasthan Patwar Exam 2019 syllabus)
Rajasthan Patwar Exam 2019 syllabus
1. General Science: History, polity and geography of India; General knowledge, current affairs
2. Geography, History, culture and polity of Rajasthan
3. General English & Hindi
(i) सामान्य हिन्दी:
(ii) General English
• Comprehension of unseen passage.
• Correction of common errors: correct usage.
• Synonym/ antonym.
• Phrases and idioms.
4. Mental ability and reasoning, Basic Numerical efficiency
• Making series/analogy.
• Figure matrix questions, Classification, Alphabet test.
• Passage and conclusions,
• Blood relations.
• Coding-decoding. Direction sense test.
• Sitting arrangement.
• Input output.
• Number Ranking and Time Square.
• Making judgments.
• Logical arrangement of words.
• Inserting the missing character/number.
• Mathematical operations, average, ratio. Area and volume.
• Percent.
• Simple and compound interest.
• Unitary Method.
• Profit & Loss.
5. Basic Computer
• Characteristics of Computers.
• Computer Organization including RAM, ROM, File System, Input Devices, Computer Software- Relationship between Hardware & Software.
• Operating System
•MS-Office (Exposure of word, Excel/Spread Sheet, Power Point)
पालनहार योजना - राजस्थान सरकार की जनकल्याणकारी योजना (Palanbhar Yojana)
पालनहार योजना - राजस्थान सरकार की जनकल्याणकारी योजना
पात्र बालक/बालिका की श्रेणी
श्रेणीवार आवश्यक दस्तावेज
पालनहार द्वारा जमा करवाये जाने वाले अन्य आवश्यक दस्तावेज
अनुदान राशि
पात्रता
आवेदन प्रक्रिया
संपर्क सूत्र :-
आवश्यक निर्देश :-
गुरुवार, 12 नवंबर 2020
विश्व की प्रमुख जनजातियाँ Major Tribals of the world
विश्व की प्रमुख जनजातियाँ Major Tribals of the world
बुधवार, 11 नवंबर 2020
"होलोग्राफी" एक विशेष त्रिविमीय फोटोग्राफी
होलोग्राफी
महिला स्वतंत्रता सेनानी नारायणी देवी वर्मा (NARAYANI DEVI VARMA)
महिला स्वतंत्रता सेनानी नारायणी देवी वर्मा
▶ नारायणी देवी का जन्म मध्य प्रदेश के सिंगोली गांव् में रामसहाय भटनागर के यहाँ हुआ।
▶बारह वर्ष की अल्पायु में ही उनका विवाह माणिक्यलाल वर्मा के साथ कर दिया गया ।
▶किसानों व आम जनता पर राजा जागीरदारों के अत्याचार देखकर माणिक्यलाल वर्मा ने आजीवन किसानों, दलितों व गरीबों को सेवा का संकल्प लिया तो नारायणी देवी इस व्रत में उनकी सहयोगिनी बनी।
▶माणिक्यलाल वर्मा के जेल जाने पर परिवार के पालन- पोषण के साथ ही नारायणी देवी ने घर-मोहल्लों में जाकर लोगों को पढ़ाना एवं शोषण के खिलाफ महिलाओं को तैयार करने के कार्य किये।
▶नारायणी देवी अपनी सहयोगिनियों के साथ घर-घर जागृति संदेश पहुँचाती और लोगों को बेगार, नशा प्रथा एवं बाल-विवाह के विरुद्ध आवाज उठाने एवं संगठित होकर कार्य करने की प्रेरणा देती।उन्होंने डूंगरपुर रियासत में खड़लाई में भीलों के मध्य शिक्षा प्रसार द्वारा जागृति पैदा करने का कार्य भी किया।
▶1939 ई. में प्रजामण्डल के कार्यों में भाग लेने के कारण उन्हें जेल जाना पड़ा। 1942 ई. में भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लेने के कारण नारायणी देवी को पुनः जेल जाना पड़ा।
▶1944 ई. में वे भीलवाड़ा आ गई और यहाँ 14 नवम्बर, 1944 को महिला आश्रम संस्था की स्थापना की। यहाँ प्रौढ़ शिक्षा व प्रसूति गृह का संचालन भी किया।
▶ वे 1970 से 1976 ई. तक राज्यसभा की सदस्य रहीं।
▶12 मार्च, 1977 को उनकी मृत्यु हुई।
अलवर प्रजामण्डल आन्दोलन (ALWAR PRAJAMANDAL AANDOLAN)
अलवर प्रजामण्डल आन्दोलन
▶1933 ई. में अलवर में कांग्रेस समिति की स्थापना हुई | इसी कांग्रेस समिति का नाम 1938 ई. में हरिनारायण शर्मा और कुंज बिहारी लाल मोदी ने 'अलवर राज्य प्रजामण्डल' कर दिया।
▶1938 ई. में प्रजामण्डल ने स्कूलों में फीस वृद्धि का विरोध करते हुए उत्तरदायी शासन स्थापना की मांग की। फलतः हरिनारायण शर्मा सहित कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। मगर प्रजामण्डल कार्यकर्ताओं ने नुक्कड़ सभाओं द्वारा जनजागृति का कार्य जारी रखा।
▶अगस्त, 1940 में सरकार ने प्रजामण्डल का पंजीकरण कर लिया। पंजीकरण होते ही प्रजामण्डल ने राजगढ़, तिजारा, खैरथल, रामगढ़ आदि में अपनी शाखाएं स्थापित कर जन चेतना का कार्य शुरू कर दिया।
▶1942 ई. के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान प्रजामण्डल ने उत्तरदायी शासन स्थापना की मांग को लेकर आंदोलन चलाया तथा सभाओं एवं प्रदर्शनों के द्वारा राज्य की नीतियों एवं शासन व्यवस्था के विरुद्ध रोष प्रकट किया। सरकार ने प्रजामण्डल कार्यकर्ताओं को जेल में ठूंस कर आंदोलन को दबाने का प्रयास किया, मगर विफल रही।
▶1948 ई. तक उत्तरदायी शासन स्थापना की मांग को लेकर प्रजामण्डल और राज्य सरकार के मध्य गतिरोध बना रहा।
▶1 फरवरी, 1948 को भारत सरकार द्वारा अलवर राज्य का शासन अपने हाथ में लेने के साथ ही प्रजामण्डल को माँग समाप्त हो गई।
▶18 मार्च, 1948 को अलवर 'मत्स्य संघ का हिस्सा बन गया।
राजस्थान के भूमिज शैली के मंदिर (Bhumij Shaili Temple of Rajasthan)
राजस्थान के भूमिज शैली के मंदिर
▶ इस शैली की विशेषता मुख्यतः उसके शिखर में परिलक्षित है। इस शिखर के चारों और प्रमुख दिशाओं में तो लतिन या एकान्डक शिखर की भाँति, ऊपर से नीचे तक चैत्यमुख डिजायन वाले जाल की लतायें या पट्टियाँ रहती हैं लेकिन इसके बीच में चारों कोणों में, नीचे से ऊपर तक क्रमशः घटते आकार वाले छोटे-छोटे शिखरों की लड़ियाँ भरी रहती हैं।
▶ राजस्थान में भूमिज शैली का सबसे पुराना मंदिर पाली जिले में सेवाड़ी का जैन मंदिर (लगभग 1010-20 ई.) है।
▶ इसके बाद मैनाल का महानालेश्वर मंदिर ( 1075 ई.) है, जो पंचरथ व पंचभूम है। यह मंदिर पूर्णतः अखंडित है व अपने श्रेष्ठ अनुपातों के लिए दर्शनीय है।
▶ रामगढ़ (बारां) का भण्ड देवरा व बिजौलिया का उंडेश्वर मंदिर (लगभग 1125 ई.) दोनों गोल व सप्तरथ हैं। रामगढ़ मंदिर सप्तभूम है जबकि उंडेश्वर नवभूम है। रामगढ़ मंदिर अपनी पीठ की सजावट, मण्डप व स्तम्भों की भव्यता व मूर्तिशिल्य के लिए दर्शनीय है।
▶ झालरापाटन का सूर्य मंदिर सप्तरथ व सप्तभूम है लेकिन उसकी लताओं में अनेकाण्डक शिखरों की भांति उरहश्रृंग जोड़ दिये गए हैं।
सूर्य मंदिर झालरापाटन |
▶ रणकपुर का सूर्य मंदिर व चित्तौड़ का अद्भुत नाथ मंदिर भी भूमिज शैली के हैं।
मंगलवार, 10 नवंबर 2020
विश्व के प्रमुख देशो के राष्ट्रीय प्रतीक National symbols of major countries of the world
विश्व के प्रमुख देशो के राष्ट्रीय प्रतीक National symbols of major countries of the world
विश्व के प्रमुख देशो के राष्ट्रीय प्रतीक
क्रम संख्या |
देश |
प्रतीक |
1 |
भारत |
अशोक चक्र |
2 |
फ्रांस |
लिली |
3 |
बेल्जियम |
शेर |
4 |
डेनमार्क |
बीच |
5 |
चिली |
कंडोर एवं ह्युमुल |
6 |
कनाडा |
मैपल पक्षी |
7 |
यूनाइटेड किंगडम |
सफ़ेद लिली |
8 |
ईरान |
गुलाब का फूल |
9 |
आस्ट्रेलिया |
वैटल |
10 |
बांगलादेश |
कँवल(वाटर लिली) |
11 |
स्पेन |
जिम्बाबे पक्षी |
12 |
रूस |
शेर |
13 |
सीरिया |
चाँद तारा |
14 |
तुर्की |
शेर |
15 |
नीदरलैंड |
फर्न ,कीवी |
16 |
नार्वे |
शेर |
17 |
पाकिस्तान |
चमेली का फूल |
18 |
सूडान |
ईगल |
19 |
आयरलैंड |
हार्प |
20 |
लेबनान |
सीडर पक्षी |
21 |
इटली |
सफ़ेद लिली |
22 |
जर्मनी |
ईगल |
23 |
मगोलिया |
ईगल |
24 |
इजरायल |
कैंडलाबुम |