• कठपुतली चित्र

    राजस्थानी कठपुतली नृत्य कला प्रदर्शन

मंगलवार, 1 दिसंबर 2020

सुमेरपुर शहर -किराणा का सामान तथा ऑटोमोबाइल के लिए प्रसिद्ध (Sumerpur city)

सुमेरपुर शहर राजस्थान के दक्षिण-पश्चिम भाग में पाली जिले में जवाई नदी के उत्तर में  स्थित है |यह प्रदेश कि राजधानी जयपुर से लगभग 370 किमी व संभागीय मुख्यालय जोधपुर से लगभग 140 किमी दूरी पर स्थित है |सुमेरपुर 25.1526° उत्तरी अक्षांश  एवं 73.0823° पूर्वी देशांतर पर समुन्द्र तल से 260 मीटर ऊंचाई पर स्थित है | राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या -14(अहमदाबाद -दिल्ली ) नगर से होकर गुजरता है |

सुमेरपुर शहर मारवाड़ के महाराजा सुमेरसिंह  जी द्वारा 1912 में स्थापित किया गया था |यहाँ के शासको ने नगरो को बसाने के लिए विशेष रूचि ली थी |एवं शीघ्र बसावट हेतू नागरिको को भूखंड निःशुल्क दिए गये थे ,व्यवसाय कर मुक्त किया गया था तथा आम जनता के लिए सुरक्षा प्रदान कि गयी थी |शुरू के कुछ दशको में अकाल एवं महामारी के कारण जनसँख्या में कमी अंकित कि गई|

jawai bandh
जवाई बांध 
वर्ष 1946 में मारवाड़ महाराजा उम्मेद सिंह जी द्वारा जवाई नदी पर  जवाई बांध का निर्माण शुरू किया गया जो 1956 में पूर्ण हुआ |जिसकी पूर्ण भराव क्षमता 61.25 फीट है |जवाई बांध की जल आपूर्ति के लिए उदयपुर कि कोटडा तहसील  में सेई परियोजना बनाई गयी है |जवाई की प्राकृतिक गुफाओ में कई तेंदुए एवं भारतीय धारीदार हाइना,मगरमच्छ के साथ साथ कई पशु पक्षी का आवास है |जवाई में स्थित बेरा गाँव कि पहाडियों को पैंथर हिल्स  या लेपर्ड हिल्स ऑफ़ इंडिया  के नाम से भी जाना जाता है | बांध का मुख्य उद्देश्य जवाई नहर से जोधपुर को पेयजल उपलब्ध करवाना था |इस नहर से कृषि कार्यो को प्रोत्साहन  मिला जिससे सुमेरपुर का विकास अधिक हुआ |

वर्ष 1837 में सुमेरपुर से 8 किमी दूरी पर एरनपुर  छावनी बनायीं गयी थी ,जहाँ वर्ष 1857 में हुए आन्दोलन के पहले युद्ध के युद्धबंधी ब्रिटिश सैनिको द्वारा रखे गये थे |वर्ष 1871 से 1873 में एरनपुर  छावनी के नाम पर एरनपुर स्टेशन का निर्माण हुआ जिसका नाम बाद में जवाई बांध रेलवे स्टेशन रखा गया |

सुमेरपुर में नगर का विकास भैरू चौक से हुआ यह स्थान पुरानी ग्राम आबादी उन्दरी (सुमेरपुर )से कुछ दूरी पर नियोजित रूप से विकसित हुआ | वर्ष 1964 में सुमेरपुर में कृषि उपज मंडी समिति कि स्थापना हुई |जिससे लगातार कृषि विपणन के कारण आर्थिक विकास हुआ | सुमेरपुर कृषि मंडी पाली ,सिरोही ,जालोर क्षेत्र की प्रख्यात मंडी है |सुमेरपुर में मुख्य पैदावार गेंहूँ ,मक्का ,तिल इत्यादि कि होती है |सुमेरपुर में भवन निर्माण सामग्री,लोहे के फर्नीचर, व सबसे ज्यादा किराणा का सामान तथा ऑटोमोबाइल  का व्यापार होता है |

मुख्य रूप से सुमेरपुर में प्राचीन खेदड़ा मंदिर, हनुमान मंदिर, जैनमंदिर, बाणमाता मंदिर, शिव मंदिर, मामाधणी मंदिर, नीलकंठ महादेव मंदिर आदि स्थित हैं। सुमेरपुर में सिणप तालाब पर बना मामाधणी मंदिर अधिक प्रसिद्ध है |



The city of Sumerpur is located in the south-west part of Rajasthan, north of the Jawai river in Pali district. It is located at a distance of about 370 km from the state capital Jaipur and about 140 km from the divisional headquarter Jodhpur. Sumerpur is located at 25.1526°N latitude and 73.0823°E longitude.This city is situated at an altitude of 260 meters above sea level. National Highway No.-14 (Ahmedabad-Delhi) passes through the city.

The city of Sumerpur was established in 1912 by Maharaja Sumer singh ji of Marwar. The rulers here took special interest to settle the cities.And for early settlement, land was given to the citizens free of cost, business tax was freed and security was provided to the general public. In the first few decades, famine and Due to the epidemic, there was a decrease in the population.

In the year 1946, the construction of Jawai Dam on Jawai River was started by Marwar Maharaja Umaid Singh Ji, which was completed in 1956. Its full filling capacity is 61.25 feet.For the water supply of Jawai Dam, Sei project has been made in Kotada Tehsil of Udaipur. The natural caves of Jawai are home to many leopards and Indian striped hyenas, crocodiles as well as many animal birds. Panthers to the hills of Bera village located in Jawai. Also known as Leopard Hills of India. The main purpose of the dam was to provide drinking water to Jodhpur from the Jawai canal. This canal encouraged agricultural activities, which led to more development of Sumerpur.

In the year 1837, Eranpur Cantonment was built at a distance of 8 km from Sumerpur, where the war prisoners were kept by the British soldiers before the movement in the year 1857. In the year 1871 to 1873, Eranpur station was constructed in the name of Eranpur Cantonment, which was later named Jawai Bandh Railway Station.

The development of the city in Sumerpur took place from Bhairu Chowk, this place was developed systematically at some distance from the old village Undri (Sumerpur). Agricultural Produce Market Committee was established in the year 1964 in Sumerpur. Due to which continuous agricultural marketing led to economic development. Sumerpur Agricultural Market is a famous market of Pali, Sirohi, Jalore region. The main crops in Sumerpur are wheat, maize, sesame, etc. In Sumerpur, building materials, iron furniture, and most grocery items and automobiles are traded. 

Mainly in Sumerpur ancient Khedda temple, Hanuman temple, Jain temple, Baan Mata temple, Shiva temple, Mamadhani temple, Neelkanth Mahadev temple etc. are located. Mamadhani temple built on Sinap pond in Sumerpur is more famous

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रविवार, 22 नवंबर 2020

परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह (Major Shaitan Singh)

परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह (Major Shaitan Singh)

परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह

आरंभिक जीवन

चोपासनी स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्रारंभ कर मेजर शैतान सिंह ने 1947 में जसवंत कॉलेज जोधपुर में बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा उसी वर्ष जोधपुर राज्य की सेना 'दुर्गा होर्स' में कैडेट के रूप में भर्ती हो गए। वर्ष 1955 में उन्हें कमीशन मिलने पर कैप्टन बनाकर कुमायूं रेजिमेंट में भेज दिया गया। 1961 के गोवा मुक्ति अभियान में भाग लेकर उन्होंनेजो कर्तव्य परायणता दिखाई उसके उपलक्ष्य में उन्हें मेजर पद की पदोन्नति दी गई। 1962 में भारत चीन युद्ध छेड़ने पर उनकी रेजिमेंट को जम्मू कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में सीमाओं की रक्षा के लिए तैनात किया गया। 18000 फीट की ऊंचाई पर लद्दाख की पहाड़ियों के बीच रेजांगला चुशूल क्षेत्र में जहां तापमान 0 डिग्री से 20 से 30 डिग्री नीचे चला जाता है हार्ड कंपा देने वाली सर्दी के बीच रलगिला के पास कंपनी ने मोचाबंदी व चीनियों के आक्रमण से चुशूल हवाई पट्टी में संपर्क सड़क की रक्षा का दायित्व उनकी टुकड़ी को सौप दिया गया।

विरासत में मिली वीरता

01 दिसंबर 1924 को जोधपुर जिले के फलोदी तहसील के बड़ा सर गांव में भाटी राजपूत कुल में जन्मे मेजर शैतान सिंह के पिता कर्नल हेमसिंह भाटी जोधपुर राज्य की सेना में ही थे, जिन्होंने 1917 में प्रथम विश्व युद्ध में फ्रांस के मोर्चे पर लड़ते हुए वीरता दिखाई थी व युद्ध में गोलियां लगने के बावजूद उन्होंने युद्ध जारी रखा, जिसके लिए तत्कालीन ब्रिटिश सरकारने उन्हें ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश एंपायर सम्मान से सम्मानित किया।


चीन के हमले का मुंह तोड दिया जवाब

18 नवंबर 1962 सुबह होने को थी । बर्फीला घुंधलका पसरा था। सूरज 17,000 फीट की ऊंचाई तक अभी नहीं चढ़ सका था। लद्दाख में ठंडी और कलेजा जमा देने वाली हवाएं चल रही थीं। यहां सीमा पर भारत के पहरुए मौजूद थे। 13 कुमायूं बटालियन की सी' कम्पनी चुशूल सेक्टर में तैनात थी। बटालियन में 120 जवान थे, जिनके पास इस पिघला देने वाली ठंड से बचने के लिए कुछ भी नहीं था। वो इस माहौल के लिए नए थे।इसके पहले उन्हें इस तरह बर्फ के बीच रहने का कोई अनुभव न था। तभी सुबह के धुंधलके में रेजांग ला (रेजांग पास ) पर चीन की तरफ से कुछ हलचल शुरू हुई। बटालियन के जवानों ने देखा कि उनकी तरफ रोशनी के कुछ गोले चले आ रहे हैं। टिमटिमाते हुए। बटालियन के अगुआ मेजर शैतान सिंह थे। उन्होंने गोली चलाने का आदेश दे दिया। थोड़ी देर बाद उन्हें पता चला कि ये रोशनी के गोले असल में लालटेन हैं। इन्हें कई सारे याक के गले में लटकाकर चीन की सेना ने भारत की तरफ भेजा था ये एक चाल थी। अक्साई चीन को लेकर चीन ने भारत पर हमला कर दिया था। चीनी सेना पूरी तैयारी से थी। ठंड में लड़ने की उन्हें आदत थी और उनके पास पर्याप्त हथियार भी थे। जबकि भारतीय टुकड़ी के पास 300-400 राउंड गोलियां और 1000 हथगोले ही थे। बंदूकें भी ऐसी जो एक बार में एक फायर करती थीं। इन्हें दूसरे वर्ल्ड-वार के बाद बेकार घोषित किया गया था। चीन को इस बात की जानकारी थी। इसीलिए उसने टुकड़ी की गोलियां खत्म करने के लिए ये चाल चली थी। चीन के सैनिकों ने आगे बढ़ना शुरू कर दिया था।
मेजर शैतान सिंह ने वायरलेस पर सीनियर अधिकारियों से बात की मदद मांगी। सीनियर अफसरों ने कहा कि अभी मदद नहीं पहुंच सकती। आप चैकी छोड़कर पीछे हट जाएं। अपने साथियों की जान बचाएं। मेजर इसके लिए तैयार नहीं हुए। चैकी छोड़ने का मतलब था हार मानना। उन्होंने अपनी टुकड़ी के साथ एक छोटी सी मीटिंग की। सिचुएशन की ब्रीफिंग दी। कहा कि अगर कोई पीछे हटना चाहता हो तो हट सकता है लेकिन हम लड़ेंगे। गोलियां कम थीं। ठंड की वजह से उनके शरीर जवाब दे रहे थे। चीन से लड़ पाना नामुमकिन था। लेकिन बटालियन ने अपने मेजर के फैसले पर भरोसा दिखाया। दूसरी तरफ से तोपों और मोटारों का हमला शुरू हो गया। चीनी सैनिकों से ये 123  जवान लड़ते रहे। दस-दस चीनी सैनिकों से एक-एक जवान ने लोहा लिया। इन्हीं के लिए कवि प्रदीप ने लिखा 'दस-दस को एक ने मारा, फिर गिर गए होश गंवा के...जब अंत समय आया तो कह गए कि हम चलते हैं.. खुश रहना देश के प्यारों, अब हम तो सफर करते हैं...।'
राजस्थान की वीर प्रसूता धरती ने अपने यहां अनेक शूर वीरों को जन्म दिया है, जिन्हें अपनी वीरता एवं साहस के लिए सदैव याद किया जाता है। |ऐसे वीरों में परमवीर मेजर शैतान सिंह का नाम अग्रणी है जिन्हें 1962 में भारत चीन युद्ध में दिखाई  गई वीरता व साहस के लिए याद किया जाता है।
18 नवंबर 1962 की भोर वली में 3000 चीनी सैनिकों ने पूरी तैयारी के साथ रेजांगला की सैनिक चोटी पर हमला बोल दिया जहां मेजर शैतान सिंह की प्लाटुन तैनात थी। तीन तरफ से टिड्डी दल की तरह चीनी सैनिक आगे बढ़ रहे थे तथा भारत की भूमि पर कब्जा जमाने की फिराक में थे। दोनों तरफ से भयंकर युद्ध में मेजर शैतान सिंह ने अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया वह धैर्य नहीं खोकर साहस से चीनियों का मुकाबला किया जिससे भारी संख्या में चीनी हताहत हुए। लेकिन उनकी जगह लेने दूसरे चीनी सैनिक पहुंच जाते। मात्र 123 सैनिक की भारतीय कंपनी जो 3 प्लाटों में बंटी हुई थी इस युद्ध में कड़ा मुकाबला कर रही थी। मेजर शैतान सिंह साहस के साथ युद्ध के दौरान एक खाई से दूसरी व दूसरी से तीसरी खाई में जाकर अपने सैनिकों का हौसला अफजाई कर रहे थे। लेकिन शत्रु सैनिकों की भारी तादाद व लगातार गोलीबारी के कारण अधिकांश भारतीय सैनिक मारे गए व मात्र शेष बचे दो सैनिकों के साथ मेजर शैतान सिंह शत्रुओं से अभी भी मुकाबला कर रहे थे. तभी एक गोली उनकी छाती में लगी तब दोनों सैनिकों ने सुरक्षित स्थान पर ले जाने को आतुर हुए। लेकिन मेजर साहब न उन्हें सुरक्षित स्थान पर जाने की हिदायत देते हुए स्वंय वहीं रहने का संकल्प किया व रक्त की अंतिम बूंद तक शत्रु से लड़ते हुए परम वीरगति को प्राप्त हुए।


तीन माह बाद मिला शव

बर्फीली हवाओं में लगातार हिमपात के कारण उनकी देह तक प्राप्त ब नहीं हो सकी व उन्हें लापता घोषित किया गया लेकिन 3 माह बाद 4 फरवरी 1963 को एक खोजी दल को मेजर का शव मिलने पर विशेष वायुयान से 18 फरवरी 1963 को जोधपुर लाया गया। सायं 5 बजे कागा स्वर्ग आश्रम में परिवार जनों के बीच उनके पुत्र नरपत सिंह के हाथों अग्नि का समर्पित करते हुए पूरे सैनिक सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई। भारत के राष्ट्रपति. प्रधानमंत्री, राज्यपाल की ओर से उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। सेना की ओर से सेनाध्यक्ष के प्रतिनिधि मेजर जनरल भगवती, कुमायू रेजीमेंट के अधिकारी व अन्य सैन्य अधिकारी उपस्थित थे ।


परमवीर चक्र से सम्मानित

भारत के राष्ट्रपति ने मेजर शैतान सिंह को युद्ध में असाधारण वीरता के लिए भा मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया आज भी जोधपुर शहर के मुख्य मार्ग स्थित पावटा चैराहे पर स्थापित उनकी प्रतिमा के सामने से जो भी नगरवासी गुजरता है, उसे देखकर स्वतः ही मरुधरा के इस सूत के सम्मान में उनका शीश श्रद्धा से झुक जाता है। सदियों तक देश के नागरिक को परमवीर के इस बलिदान को याद करते रहेंगे। उनकी वीरता और साहस भावी पीढ़ी को हमेशा प्रेरणा देती रहेगी।


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बुधवार, 18 नवंबर 2020

वास्तानेश्वर महादेव मंदिर सिरोही (वास्तानजी)Vastaneshwar Mahadev Temple Sirohi Vastanji

वास्तानेश्वर महादेव मंदिर सिरोही Vastaneshwar Mahadev Temple Sirohi

वास्तानेश्वर महादेव मंदिर सिरोही

अमरकोट के राजघराने में जन्मे सोढा राजपूत जोहरसिंह कालान्तर में अर्बन्दाचल (आबू क्षेत्र) के महान तपस्वी संत मुनिजी महाराज के रूप में प्रख्यात हुए। मुनिजी की पुण्यतिथि पौष सुदी 7 को सरूपगंज-कृष्णगंज रोड पर वास्तानेश्वर महादेव मंदिर में समाधि स्थल पर हर साल विशाल मेला आयोजित होता है। इस मेले में आस-पास सहित  दूरदराज के सैकड़ों श्रद्धालु आते हैं। साधु संत भी धूणी रमाते हैं।

मुनिजी महाराज के पूर्व श्रम के बारे में कहा जाता है कि उनका संबंध थारपारकर अमरकोट (हाल पाकिस्तान) के सोढा राजघराने  से था। बहादुरसिंह के दो रानी थीं, मुनिजी की माता का नाम जतन कंवर था। जोहरसिंह का जन्म 1897 में अमरकोट किले में हुआ था। जोहरसिंह के बड़े भाई का नाम जवानसिंह था। मुनिजी के भुआसा मान कंवर का विवाह जोधपुर महाराजा भीमसिंह के साथ 1861 में हुआ था। मानकवर के विधवा होने बाद देवर मानसिंह ने जोधपुर की गही संभाली थी। ऐसा मारवाड़ के इतिहास में लिखा हुआ है।

अकाल के कारण आए आबू

किवदंती है कि मुनिजी महाराज 1925 के लगभग अमरकोट क्षेत्र में भीषण अकाल पड़ने के कारण गायों को चराने आबू की तरफ आए थे। मुनिजी के साथ एक रेबारी भी था जो मूलतः राजस्थान का ही था।
ऐसे उत्पन्न हुआ वैराग्य
यहां आने पर सिरोही के अनादरा गांव के निकट आबू की तलहटी में उनकी आकस्मिक भेट किसी सिद्ध पुरुष महात्मा से हुई। उस महात्मा ने मुनिजी से थोड़े दूध की मांग की तो सहर्ष दे दिया।महात्मा ने दूध की प्रसाव पाने के बाद झोली में से एक फल निकाल कर इन दोनों को दिया ।और अदृश्य हो गए। रेबारी को आबू के अघोरी संतों की जानकारी थी और उसने फल का प्रसाद फेंक दिया लेकिन मुनिजी तेज भूख लगने के कारण रेबारी के मना करने पर भी खा गए। उनको अन्तःकरण में अद्भुत प्रकाश और परम शान्ति का अनुभव होने लगा और वे स्वयं भी दशा समझने में असमर्थ थे। उनके शरीर में नई चेतना और कान्ति आ गई। दिन प्रतिदिन उनकी वृत्ति उदासीनता और वैराग्य की तरह ढलती गई। एक बार पुनः उस महात्मा से मिलने की इच्छा प्रबल होने लगी। मुनिजी रेबारी को यह कहकर कि मैं उस महात्मा को... खोजने के लिए आबू की पहाड़ियों में जा रहा हूँ यदि वापस आता हूं तो ये गाय मुझे वापस देना अन्यथा यह माल तेरा है।
काफी समय बाद अमरकोट से मुनिजी महाराज के बड़े भाई जवानसिंह उनकी खोज में आबु की तरफ आए। बहुत भटकने के बाद उनकी मुलाकात इस रैबारी से ही. गई रेबारी ने उन्हें सारी घटना से अवगत करवाया और आशा छोड़कर चले जाने को कहा। मुनिजी की गाय ईमानदारी पूर्वक सौंप दिया। 
इस घटना के बाद मुनिजी आबू की पहााड़ियो में लंबे समय तक गुम रहे और वापस प्रकट हुए तो एक सिद्ध दशा अवतार में देखने को मिले। तथा उन्हें थारपारकर अमरकोट के सोढा के रूप में किसी ने नहीं पहचाना लेकिन लंबेसमय बाद यह पता चला कि वही सोढ़ा किरदार है। पुराने परिचय के बारे में किसी ने जानने की कोशिश की तो बाबाजी कह देते थे कि ढक परदा रख बाजी। कभी कभी बाबाजी मस्ती में आने पर स्वयं गर्व के साथ बोल देते थे कि यह थारपारकर के सोढा का शरीर है।वे अधिकांश समय मौन रहते थे इसलिए वे इस क्षेत्र में मुनि बाबा के नाम से प्रख्यात हुए । एक समय स्वयं मुनि बाबा ने किसी पत्र पर हस्ताक्षर किए थे जहां अपना नाम शमशेर गिरी लिखा था।

मुनि बाबा के चमत्कार

मुनि बाबा को हिन्दू ग्रन्थों के अलावा कुरान शरीफ का भी अच्छा ज्ञान था। स्वयं मुनि बाबा को खाने-पीने में कोई रुचि नहीं थी पर लोगों को खिला कर एवं अन्न, वस्त्रदान कर बहुत खुश रहते थे। उनकी इच्छा मात्र से बस्ती हो या वीरान पहाड़, साधन सामग्री और उपभोग करने वाले हाजिर हो जाते थे।

●वास्तानेश्वर महादेव भगवान की जय●
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मंगलवार, 17 नवंबर 2020

सिरोही जिले का सबसे बड़ा बांध "पश्चिमी बनास बांध" West Banas Dam"

सिरोही जिले का सबसे बड़ा बांध "पश्चिमी बनास बांध" West Banas Dam"

सिरोही जिले का सबसे बड़ा बांध "पश्चिमी बनास बांध"

सिरोही जिले का सबसे बड़ा पश्चिमी बनास बांध है। इसकी भराव क्षमता 1380 एमसीएफटी फीट है। इस बांध से दो नहरें निकलती हैं जिनसे पिण्डवाड़ा व आबूरोड तहसील के 36 गांवों की भूमि सिंचित होती है इस बांध के ओवरफ्लो का पानी गुजरात के दांतीलाड़ा बांध में जाता है। ऐसा भी कहा जाता कि जब इसका ओवरफ्लो बढ़ जाता है या बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है तो जिले की सीमा से लगते गुजरात के गांवों को खाली करवाया जाता है। 


बांध का निर्माण वर्ष 1965-66 में पूर्ण हुआ था। बांध का कुल कैचमेंट एरिया 501.76 वर्ग किलोमीटर में है। इसकी भराव क्षमता 24 फीट है जिसमें करीब 1380 एमसीएफटी पानी आता है। बांध का फूट टैंक लेवल 334. 45 मीटर व मैक्सिमम वॉटर लेवल 335.54 मीटर है। एवं सील्ड 327.13 मीटर है। बनास बांध की 4 किलोमीटर की पाली बनी हुई है। बांध की नाला बेड से अधिकतम उंचाई 16.75 मीटर है। 

इससे दो नहर निकली है, इसमें एक आरएमसी जिसकी लम्बाई 34.74 किलोमीटर व दूसरी एलएमसी जिसकी लम्बाई 21.64 किलोमीटर निकलती है। इन्ही में से 5 माईनर कैनाल जिसमें तीन पिण्डवाड़ा तहसील के फूलाबाई खेड़ा, अचपुरा व सांगवाड़ा तथा दो आबूरोड तहसील में मूंगथला व क्यारिया पंचायत तक जाती है।

 इस बांध के पानी से पिण्डवाड़ा व आबूरोड तहसील के 36 गांवों कि 7952 हैक्टेयर भूमि में सिंचाई होती है। पानी वितरण के लिए कमेटी का गठन किया गया है इसका पानी केवल सिंचाई के लिए उपयोग में लिया जाता है। जल प्रबंधन में सहभागिता के लिए 8 जल उपभोक्ता संगम व 2 जल वितरण प्रबंधन समिति का गठन किया गया है।

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सोमवार, 16 नवंबर 2020

माउंट आबू हिल स्टेशन "राजस्थान का कश्मीर" Mount Abu

माउंट आबू हिल स्टेशन "राजस्थान का कश्मीर" Mount Abu

माउंट आबू हिल स्टेशन "राजस्थान का कश्मीर"

प्रदेश का एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू, जिसे राजस्थान का कश्मीर भी कहा जाता है। पर्यटन क्षेत्र में अपनी अलग ही पहचान है।पर्यटकों के बढ़ते रूझान को देखते हुए यहां पर नए पर्यटक स्थल भी विकसित किए जा रहे हैं। 2019 में 29 साल बाद सेल्फी पाइंट के रूप में 18वां पर्यटक स्थल स्थपापित किया गया था और इसके बाद 101 फीट ऊंचा तिरंगा लगाया गया, जो जिले का सबसे बड़ा तिरंगा था। नक्की झील से लेकर गुरु शिखर तक की वादियों पर्यटकों को पसंद आ रही है। माउंटआबू में नक्कीलेक, टॉड रॉक, हनीमून पाइंट, गौरव पथ, अधरदेवी, देलवाड़ा जैन मंदिर, गुरु शिखर, सनसेट पाइंट, रसिया बालम, पांडव गुफा, नीलकंठ मंदिर, शंकर मठ, रघुनाथ मंदिर, ओम शांतिभवन व ब्रह्मकुमारी म्यूजियम समेत कुल 18 टूरिस्ट पॉइंट हैं।


गुरु शिखर

गुरु शिखर अरावली पर्वत शृंखला अर्बुदा पहाड़ों में एक चोटी है जो अरावली पर्वत माला का उच्चतम बिंदु है यह 1722 मीटर एवं 5676 फीट की ऊंचाई पर है। इस मंदिर की शांति भवन का सफेद रंग एवं यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार दत्तात्रेय को समर्पित है। इसके पास चामुंडा मंदिर शिव मंदिर और मीरा मंदिर भी शामिल है। गुरु दत्तात्रेय को भगवान विष्णु का अवतार माने जाते है, जिसके चलते यह मंदिर बहुत पवित्र स्थान पर है।

अचलगढ़ मंदिर

अचलगढ़ किला मेवाड़ के राजा राणा कुम्भा ने पहाड़ी के ऊपर पहाड़ी के तल पर 15वीं शताब्दी में बनाया था।  मंदिर की विशेषता है कि अचलेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित माना जाता है यहां भगवान शिव के पैरों के निशान हैं। यहां शिवणी के अगूठे की पूजा होती है। अचलेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव के अंगूठे के निशान मौजूद थे। स्थानीय लोग बताते हैं कि भगवान शिव का विशेष जलाभिषेक होता है जो बहुत खास है।

देलवाड़ा जैन मंदिर

देलवाड़ा मंदिर सबसे अद्भुत  मंदिरों में से एक है जिसकी विशेषता है कि यह पांच मंदिरों का एक समूह है। इसका निर्माण 11वीं और 13वों शताब्दी के मध्य हुआ था। यह मंदिर जैन धर्म के  तीर्थकरों को समर्पित है देलवाड़ा के मंदीरों में विमलवसही मंदिर प्रथम तीर्थकर को समर्पित है जो 1031 ईस्वी में बना था। मंदिर में  लगभग 48 स्तंभों में नृत्यांगना की आकृति बनी हुई है। आदिनाथ की मुर्ति की आंखें बहुमुल्य आभूषणों व रत्नों से  बनी है।

अधरदेवी मंदिर

कात्यायिनी शक्ति पीठ अर्बुदा मंदिर माउंट आबू का सबसे पुराना एवं प्रसिद्ध मंदिर है। ये देश के 52 शक्तिपीठों में छठा शक्तिपीठ है। अर्बुदादेवी देवी दुर्गा के नौ रूपों में से कात्यायिनी का रूप है, जिसकी पूजा नवरात्रि के छठे दिन होती है। माना जाता है कि भगवान शंकर के तांडव के समय माता पार्वती के अधर यहीं पर गिरा था इसलिए इसे अधरदेवी के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर करीब साढ़े पांच हजार साल पुराना है।

नक्की लेक

इसे माउंट का ह्दय स्थल भी कहा जाता है। राजस्थान की सबसे ऊंची झीलों में यह एक है। मान्यता है कि किसी देवता ने अपने नाखूनों से खोदकर यह झील बनाई थी। इसीलिए इसे नक्की, नख या नाखून नाम से जाना जाता है। धार्मिक रूप से भी इसका महत्व यह है कि कार्तिक पूर्णिमा पर इसमें लोग स्नान कर लाभ लेते हैं। यहां की नौकायान के साथ इसके आस-पास बसा बाजार इसकी खूबसूरती को और बढ़ा देता है।

सेल्फी पॉइंट

माउंट आने वाले पर्यटकों को टूरिस्ट सेल्फी पॉइंट नाम का नया पर्यटन स्थल विकसित किया गया है। इसकी खासियत यह है कि यहां से नक्की झील के साथ ही हनीमून पॉइंट की पहाड़ियां भी नजर आती हैं। यहां से सेल्फी भी बेहद खूबसूरत बनती है। इससे पहले 1990 से पूर्व बना पर्यटकों के लिए ब्रह्मकुमारी संस्थान की ओर से बनाया गया था। इसके बाद 29 साल बाद इसे 18वें पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया गया था।

नेशनल पार्क

नक्की झील पर स्थित समुद्र तल से सबसे ऊंचा 102 फीट ऊंचा तिरंगा माउंट आबू शहर में राम जानकी बाग के समीप लहराता हुआ पर्यटकों को आकर्षित करता है। 7 अक्टूबर 2019 को उद्घाटन हुआ, तब से यहां तिरंगा लहरा रहा है। नक्की झील, गौरव पथ और स्वामी विवेकानंद पार्क के पास बना यह स्थल अपने आप में अलग है, यहां आने वाले पर्यटकों की पसंद बना हुआ है। समुद्र तल से झंडे की कुल ऊंचाई करीब 4104 फीट है।

अद्भुत रॉक

माउंट के मौसम की तरह यहां मिलने वाली रॉक यानी, पहाड़ियों के कुछ हिस्से भी अपने आप में अद्भुत है। कुछ रॉक ऐसी हैं जो हुबहू जानवरों जैसी दिखती है। खास बात यह है कि जिस जानवर की तरह यह दिखती है उसी के अनुसार इनके नाम भी हैं। इनमें टोड रॉक, धोती खेड़ा रॉक और एलिफेंट रॉक मशहूर है। यह रॉक या तो ट्रेकिंग के लिए या फिर सेल्फी पॉइंट के लिए पर्यटकों में खास जगह बनाती है। दूसरी खास बात यह है कि इस तरह की चट्टानें या रॉक पूरे प्रदेश में केवल माउंट में ही देखने को मिलेगी। मदर रॉक पर तो जैसे एक मां की प्रतिकृति देखने को मिलती है।

इतने प्रकार की है रॉक

एलीफैंट रॉक, जो दिखती है हाथी की तरह 

एलीफेंट रॉक गुरु शिखर के नीचे एवं उत्तक के समीप हाथी के आकार जैसी चट्टान है। जिसमें आंख, सुंड, कान व शरीर हाथी के आकार जैसा दिखाई दे रहा है।

मदर रॉक, मां की ममता का प्रतीक 

मदर रॉक हनीमून पॉइंट के समीप है जिसमें एक बड़ी सी चट्टान महिला की आकृति लिए है और जैसे अपने बच्चे को देखते हुए दिख रही है। यह हनीमून पॉइंट की फेमस रॉक है। जिसे मदर रॉक कहा जाता है।

टोड रॉक,जो ट्रैकिंग के लिए मशहूर 

नक्की झील के समीप ऊपर पहाड़ पर एक मेंढक की आकृति जैसी चट्टान है जो टोड रॉक के नाम से सुप्रसिद्ध है। यह ट्रेकिंग के लिए मशहूर है और यहां ट्रेनिंग भी दी जाती है।

धोती खेड़ा रॉकः 

गोमुख पार्किंग के समीप धोती खेड़ा के नाम से प्रसिद्ध रॉक है जो एक के ऊपर एक के ऊपर बनी हुई है। इसे आम लोगों ने धोती खेड़ा का नाम दिया है और यह बहुत पुरानी चट्टान है।
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रविवार, 15 नवंबर 2020

इसरो के विभिन्न केंद्र एवं प्रतिष्ठान

इसरो के विभिन्न केंद्र एवं प्रतिष्ठान


● विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, तिरुवनंतपुरम

● इसरो उपग्रह केंद्र, बंगलुरू

● सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा 

● अंतरिक्ष उपयोग केंद्र, अहमदाबाद

● राष्ट्रीय प्राकृतिक अनुसंधान प्रबंधन तंत्र

● भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान

● सेमी कंडक्टर प्रयोगशाला

● अंतरिक्ष कॉर्पोरेशन लिमिटेड, बंगलुरू 

● विकास एवं शैक्षणिक संचार इकाई, अहमदाबाद

● उत्तर-पूर्व अंतरिक्ष उपयोग केंद्र, शिलांग

● इनसैट प्रधान नियंत्रण सुविधा, हासन

● राष्ट्रीय वायुमंडलीय अनुसंधान प्रयोगशाला

● इसरो जड़त्वीय तंत्र इकाई, बंगलुरू

● भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला, अहमदाबाद

● राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र, हैदराबाद

● रीजनल सुदूर संवेदन सेवा केंद्र

● द्रव नोदन तंत्र केंद्र, महेन्द्र गिरि
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शनिवार, 14 नवंबर 2020

राजस्थान जनआधार योजना 2019 (एक नंबर,एक कार्ड ,एक पहचान ) Janaadhar yojana 2019

राजस्थान जनआधार योजना 2019 (एक नंबर,एक कार्ड ,एक पहचान )

माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा परिवर्तित बजट 2019 -20 में की गई बजट घोषणा (अनुच्छेद संख्या-141) की अनुपालना में लोक कल्याणकारी योजनाओं के लाभ आमजन को सरलता, सुगमता एवं पारदर्शी रूप से पहुँचाने के दृष्टिगत "राजस्थान जन-आधार योजना- 2019" का क्रियान्वयन किया जाना है, जिसके तहत सभी विभागों की योजनाओं के लाभ एवं सेवाओं प्रदायगी सुनिश्चित की जाएगी।

उद्देश्य

• राज्य के निवासी परिवारों की जन-सांख्यिकीय एवं सामाजिक-आर्थिक  सूचनाओं का डेटा बेस तैयार कर प्रत्येक परिवार को "एक नम्बर, एक कार्ड, एक पहचान"प्रदान किया जाना, जिसे परिवार एवं उसके सदस्यों की पहचान  तथा पते दस्तावेज के रूप में मान्यता प्रदान कराना।

• नकद लाभ प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण  के माध्यम से तथा गैर-नकद लाभ आधार/जन-आधार अधिप्रमाणन उपरान्त देय।

• राज्य के निवासियों को जनकल्याण की योजनाओं के लाभ उनके घर के समीप उपलब्ध कराना तथा ई-कॉमर्स और बीमा सुविधाओं का ग्रामीण क्षेत्रों में विरतार करना

• ई-मित्र तंत्र का विनियमन द्वारा नियंत्रण व प्रभावी संचालन करना।

 • राज्य में विद्यमान तकनीकी तथा इलेक्ट्रॉनिक ढाँचे का विस्तार एवं सुदृढीकरण किया जाना।

• महिला सशक्तिकरण एवं वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना।

• सरकार द्वारा प्रदत्त जनकल्याण के लाभों की योजनाओं हेतु परिवार/परिवार के सदस्यों की पात्रता का निर्धारण करना। विभिन्न योजनाओं के लाभ प्राप्ति के समय आधार अधिप्रमाणन को लाभार्थी के जीवितता प्रमाण-पत्र के रूप में मान्यता देना।

जन-आधार पंजीयन व जन-आधार कार्ड

• राज्य के सभी निवासी परिवार, पंजीयन कराने व जन-आधार कार्ड प्राप्त करने हेतु पात्र है। प्रत्येक परिवार को एक 10 अंकीय परिवार पहचान संख्या सहित जन-आधार कार्ड प्रदान किया जाएगा।
• परिवार द्वारा निर्धारित 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की महिला को परिवार की मुखिया बनाया जाएगा। यदि परिवार में 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की महिला नहीं है तो 21 वर्ष या उससे अधिक आयु का पुरूष मुखिया हो सकता है यदि परिवार में 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की महिला और 21 वर्ष या उससे अधिक आयु का पुरुष भी नहीं हो तो परिवार में अधिकतम आयु का कोई भी सदस्य, परिवार का मुखिया होगा।

• विभिन्न प्रकार के परिवार कार्ड (यथा राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड इत्यादि) के स्थान पर राज्य के निवासी परिवारों को एकबारीय निःशुल्क जन-आधार परिवार कार्ड उपलब्ध कराया जाएगा, जो बहुउद्देश्यीय कार्ड होगा। भविष्य में सभी जन-कल्याण की योजनाओं के लाम/सेवाओं को इस कार्ड के आधार पर हस्तांतरित किया जाएगा।

• चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा भविष्य में स्वास्थ्य कार्ड जारी करने की आवश्यकता के मद्देनजर जन-आधार व्यक्तिगत कार्ड भी जारी किया जायेगा।

• राज्य के पंजीकृत निवासियों द्वारा स्वयं जन-आधार डेटा रिपोजिटरी में दर्ज सूचनाओं को समय-समय पर आवश्यकतानुसार अद्यतन कराया जा सकेगा।

• जन-आधार डेटा रिपोजिटरी से एकीकृत अन्य योजनाओं के डेटाबेस में लाभार्थी की सूचना में अद्यतन होने पर जन-आधार डेटा रिपोजिटरी में भी उस निवासी की सूचनाओं में अद्यतन किया जा सकेगा  |

• परिवार के किसी भी सदस्य का आधार नामांकन होने पर उस सदस्य की आधार  संख्या को जन-आधार पोर्टल पर परिवार द्वारा दर्ज करवाना आवश्यक होगा।


 नकद व गैर-नकद लाभों की प्रदायगी

नकद लाभ-- पात्रता अनुसार देय सभी पारिवारिक नकद लाभ सीधे परिवार के मुखिया के बैंक खाते में हस्तांतरित किए जाएंगे व्यक्तिगत नकद लाभ संबंधित लाभार्थी के बैंक खाते में, यदि लाभार्थी का बैंक खाता नहीं है तो परिवार के मुखिया के बैंक खाते में हस्तांतरित किए जाएंगे।

गैर-नकद लाभ- पात्रता अनुसार देय सभी पारिवारिक गैर नकद लान परिवार का कोई भी वयस्क सदस्य तथा व्यक्तिगत गैर-नकद लाभ संबंधित लाभार्थी (अवयस्क लाभार्थी की स्थिति में परिवार का मुखिया) स्वयं के आधार अधिप्रमाणन उपरान्त प्राप्त कर सकेगा।

घर के नजदीक लाभ हस्तांतरण हेतु सेवाओं का विस्तार

• राजस्थान राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सुदूर, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाओं का विस्तार किया जाएगा ताकि आम निवासियों को घर के नजदीक योजनाओं के लाभ/सेवाएं प्राप्त हो सके।

• राज्य में गैर--नकद लाभ की जनकल्याणकारी योजनाओं के लाभ तथा दिन-प्रतिदिन की सेवाएँ घर के नजदीक प्रदान करने हेतु ई-मित्र केन्द्रों, ई-मित्र प्लस सेल्फ सर्विस कियोस्क, ई-कॉमर्स, बीमा इत्यादि सेवाओं का विस्तार किया जाएगा।

• नकद लाभ वितरण हेतु बैकिंग सेवाओं यथा बैंक बी.सी. ए.टी.एम. माइक्रो ए.टी.एम, डिजीटल पेमेन्ट किट इत्यादि का सुदूर क्षेत्रों में भी विस्तार किया जाएगा।

 ई-मित्र परियोजना का विस्तार

• राजस्थान जन-आधार योजना के अन्तर्गत ई मित्र परियोजना का संचालन एवं विस्तार किया जाएगा।

• राजस्थान जन-आधार योजना के अन्तर्गत ई-मित्र के माध्यम से सेवा प्रदायगी में पारदर्शिता लाने और प्रभावी नियन्त्रण हेतु विनियम बनाए जाएंगे। 

पोर्टल्स  का एकीकरण 

• परिवार को प्रदान किए जाने वाले विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के लाभों से संबंधित एप्लीकेशनों को जन-आधार पोर्टल से चरणबद्ध रूप से एकीकृत किया जाएगा।

• एकीकरण के पश्चात् सम्बन्धित विभागों की एप्लीकेशनों द्वारा योजनाओं का लाभ जन-आधार परिवार पहचान संख्या के माध्यम से ही हस्तांतरित किया जाएगा तथा इसका विवरण जन-आधार प्लेटफार्म से साझा किया जाएगा।

• राज्य में अधिकांश आबादी कृषि पर निर्भर है, अतः किसानों के उत्थान हेतु संचालित सभी योजनाओं को प्राथमिकता से राजस्थान जन-आधार पोर्टल से जोडा जायेगा ताकि उन्हें प्राप्त होने वाले सभी नकद व गैर-नकद लाभ एवं सेवाएँ सीधे व पारदर्शी रूप से समय पर प्राप्त हो सके।

• जिन जनकल्याणकारी योजनाओं के डेटाबेस एवं भुगतान का ऑनलाईन प्लेटफॉर्म वर्तमान में उपलब्ध नहीं है, उन सेवाओं एवं परिलाभों हेतु जन-आधार प्लेटफार्म के माध्यम से लाभ हस्तांतरण सुनिश्चित किया जाएगा।

• जन-आधार पोर्टल से एकीकृत किए जाने वाले पोर्टल्स हेतु आवश्यकतानुसार विस्तृत दिशा-निर्देश पृथक से जारी किए जाएंगे।

राजस्थान जन-आधार योजना में पंजीयन एवं कार्ड वितरण

पूर्व पंजीकृत परिवारों के लिए: स्टेट रेजिडेन्ट डेटा रिपोजिटरी में पूर्व पंजीकृत परिवारों को 10 अंकीय जन-आधार परिवार पहचान संख्या प्रदान की जाएगी। जन-आधार पहचान संख्या को मोबाईल नम्बर पर एस.एम.एस. एवं वॉयस कॉल के माध्यम से प्रेषित किया जाएगा। इसे निकटस्थ ई-मित्र/ ई-मित्र प्लस पर आधार/परिवार पहचान संख्या देकर प्राप्त किया जा सकेगा।

नवीन पंजीकरण वाले परिवारों के लिए: जन- आधार पंजीयन हेतु राज्य के निवासी परिवार का वयस्क सदस्य जन-आधार पोर्टल पर स्वयं अथवा नजदीकी ई-मित्र पर निःशुल्क पंजीयन करा सकेगा परिवार द्वारा दर्ज करवाई गई सूचनाओं व अपलोड किए गए दस्तावेजों आदि के आधार पर सत्यापन उपरान्त 10 अंकीय जन-आधार परिवार पहचान संख्या प्रदान की जाएगी तथा उसके पंजीकृत मोबाईल नम्बर पर सूचित कर दी जाएगी।

जन-आधार कार्ड वितरण: परिवार को जन-आधार पहचान संख्या जारी होने के उपरान्त मुद्रित कार्ड सीधे सम्बन्धित नगर निकाय /पंचायत समिति/ई-मित्र को वितरण हेतु प्रेषित किए जाएंगे। राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित प्रक्रिया अनुसार सम्बन्धित नगर निकाय / पंचायत समिति के द्वारा सम्बन्धित परिवार को एकबारीय निःशुल्क कार्ड वितरित किया जाएगा। नामांकित परिवार जन-आधार ई-कार्ड, जन-आधार पोर्टल अथवा एस.एस.ओ. आई डी के माध्यम से भी निःशुल्क डाउनलोड कर सकता है।

संशोधन/अद्यतनः जन-आधार पंजीयन में दर्ज सूचनाओं में किसी भी प्रकार का संशोधन/अद्यतन ई-मित्र पर करवाया जा सकेगा संशोधन / अद्यतन परिवार के मुखिया/वयस्क सदस्य द्वारा आधार अधिप्रमाणन के माध्यम से कराया जा सकेगा। निवासी चाहे तो अद्यतन जन-आधार ई-कार्ड ई-मित्र/ ई-मित्र प्लस पर जाकर भी डाउनलोड कर सकता है अथवा निर्धारित शुल्क देकर पी.वी.सी. कार्ड भी प्राप्त कर सकता है।

• परिवारों/व्यक्तियों का पंजीयन निरस्त करनाः यदि कोई अपात्र परिवार / व्यक्ति द्वारा छलपूर्ण प्रलेख  प्रस्तुत कर जन- आधार पंजीयन करवा लिया है / का्ड प्राप्त कर लिया है तो ऐसे जन-आधार पंजीयन/कार्ड को स्थायी रूप से नियमानुसार निरस्त किया जा सकेगा।

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शुक्रवार, 13 नवंबर 2020

राजस्थान RSSB पटवार सीधी भर्ती परीक्षा 2019 विस्तृत पाठ्यक्रम (Rajasthan Patwar Exam 2019 syllabus)

राजस्थान RSSB पटवार सीधी भर्ती परीक्षा 2019 विस्तृत पाठ्यक्रम (Rajasthan Patwar Exam 2019 syllabus)

Rajasthan Patwar Exam 2019 syllabus

1. General Science: History, polity and geography of India; General knowledge, current affairs 

• विज्ञान के सामान्य आधारभूत तत्व एवं दैनिक विज्ञान, मानव शरीर, आहार एवं पोषण, स्वास्थ्य देखभाल
• प्राचीन एवं मध्यकालीन भारत के इतिहास की प्रमुख विशेषताएँ एवं महत्वपूर्ण ऐतिहासिक (6वीं शताब्दी के मध्य से वर्तमान तक) घटनाएं
• भारतीय संविधान, राजनीतिक व्यवस्था एवं शासन प्रणाली, संवैधानिक विकास
• भारत की भौगोलिक विशेषताएं, पर्यावरणीय एवं पारिस्थितिकीय परिवर्तन एवं इनके प्रभाव
• समसामयिक राष्ट्रीय घटनायें

2. Geography, History, culture and polity of Rajasthan 

• राजस्थान के इतिहास की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएँ,
• राजस्थान की प्रशासनिक व्यवस्था राज्यपाल, राज्य विधान सभा, उच्च न्यायालय, राजस्थान लोक सेवा आयोग, जिला प्रशासन, राज्य मानवाधिकार आयोग, राज्य निर्वाचन आयोग, लोकायुक्त, राज्य
• सूचना आयोग, लोक नीति
• सामाजिक-सांस्कृतिक मुद्दे।
• स्वतन्त्रता आन्दोलन जन-जागरण एवं राजनीतिक एकीकरण।
• लोक कलाएँ, चित्रकलाएँ और हरतशिल्प एवं स्थापत्य ।
• मेले, त्यौहार, लोकसगीत एवं लोकनृत्य ।
• राजस्थानी संस्कृति एवं विरासत, साहित्य।
• राजस्थान के धार्मिक आन्दोलन, रान्त एवं लोकदेवता।
• महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल। राजस्थान के प्रमुख व्यक्तित्व।

3. General English & Hindi

(i) सामान्य हिन्दी:

• दिये गये शब्दों की संधि एवं शब्दों का संधि-विच्छेद।
• उपसर्ग एवं प्रत्यय इनके संयोग से शब्द-संरचना तथा शब्दों से उपसर्ग एवं प्रत्यय को पृथक करना, इनकी पहचान।
• समस्त (सामासिक) पद की रचना करना, समस्त (सामासिक) पद का विग्रह करना।
• शब्द युग्मों का अर्थ भेद। 
• पर्यायवाची शब्द और विलोम शब्द।
• शब्द शुद्धि-दिये गये अशुद्ध शब्दों को शुद्ध लिखना।
• वाक्य शुद्धि -वर्तनी संबंधी अशुद्धियों को छोड़कर वाक्य संबंधी अन्य व्याकरणीय अशुद्धियो का शुद्धीकरण।
• वाक्यांश के लिये एक उपयुक्त शब्द
• पारिभाषिक शब्दावली-प्रशासन से सम्बन्धित अंग्रेजी शब्दों के समकक्ष हिन्दी शब्द । 
• मुहावरे एवं लोकोक्ति

(ii) General English

• Comprehension of unseen passage.
• Correction of common errors: correct usage.
• Synonym/ antonym.
• Phrases and idioms.

4. Mental ability and reasoning, Basic Numerical efficiency

• Making series/analogy.
• Figure matrix questions, Classification, Alphabet test.
• Passage and conclusions,
• Blood relations.
• Coding-decoding. Direction sense test.
• Sitting arrangement.
• Input output. 
• Number Ranking and Time Square.
• Making judgments.
• Logical arrangement of words.
• Inserting the missing character/number.
• Mathematical operations, average, ratio. Area and volume.
• Percent.
• Simple and compound interest. 
• Unitary Method.
• Profit & Loss.

5. Basic Computer

• Characteristics of Computers.
• Computer Organization including RAM, ROM, File System, Input Devices, Computer Software- Relationship between Hardware & Software.
• Operating System
•MS-Office (Exposure of word, Excel/Spread Sheet, Power Point)

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पालनहार योजना - राजस्थान सरकार की जनकल्याणकारी योजना (Palanbhar Yojana)

पालनहार योजना - राजस्थान  सरकार की  जनकल्याणकारी योजना 

यह योजना राजस्थान सरकार द्वारा राज्य के 0 से 18 वर्ष तक के विशेष देखभाल एवं संरक्षण वाले बालक/ बालिकाओं की विभिन्न श्रेणियों के लिये है। इसके तहत् आने वाले बालक/बालिकाओं की देखनाल एवं पालन-पोषण की व्यवस्था परिवार के अन्दर किसी निकटम रिश्तेदार/परिचित व्यक्ति के द्वारा किया जाता है। बालक/बालिकाओं के देखभाल करने वाले को पालनहार कहा गया है। बालक/बालिकाओं के आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक विकास को सुनिश्चित करने के लिये सरकार द्वारा मासिक आर्थिक सहायता दी जाती है।

पात्र बालक/बालिका की श्रेणी

●  अनाथ बच्चे

●  मृत्यु  दण्ड/ आजीवन कारावास प्राप्त प्राप्त माता/पिता के बच्चे

●  निराश्रित पेंशन की पात्र विधवा माता के तीन बच्चे

●  पुनर्विवाहित विधवा माता के बच्चे

●  एच.आई.वी./एड्स पीडित माता/पिता के बच्चे

●  कुष्ठ रोग से पीडित माता/पिता के बच्चे

●  नाता जाने वाली माता के तीन बच्चे

●  विशेष योग्यजन माता/पिता के बच्चे

●  तलाकशुदा/परित्यक्ता महिला के बच्चे

श्रेणीवार आवश्यक दस्तावेज

●  माता-पिता के मृत्यु प्रमाण-पत्र की प्रति  - (अनाथ बच्चे )

●  दण्डादेश की प्रति -(मृत्यु  दण्ड/ आजीवन कारावास प्राप्त प्राप्त माता/पिता के बच्चे)

●  विधवा पेशन गुगतान आदेश (पी.पी.ओ.) की प्रति -(निराश्रित पेंशन की पात्र विधवा माता के तीन बच्चे)

●  पुनर्विवाह के प्रमाण पत्र की प्रति -(पुनर्विवाहित विधवा माता के बच्चे)

●  ए.आर.टी. सेन्टर द्वारा जारी ए.आर.डी. डायरी/ग्रीन कार्ड की प्रति -(एच.आई.वी./एड्स पीडित माता/पिता के बच्चे)

●  सक्षम बोर्ड द्वारा जारी किये गये चिकित्सा प्रमाण पत्र की प्रति -(कुष्ठ रोग से पीडित माता/पिता के बच्चे)

●  नाता गये हुए एक वर्ष से अधिक समय होने का प्रमाण -(नाता जाने वाली माता के तीन बच्चे)

●  40 प्रतिशत या अधिक निःशक्तता के प्रमाण पत्र की प्रति -(विशेष योग्यजन माता/पिता के बच्चे)

●  तलाकशुदा/परित्यक्ता पेंशन भुगतान आदेश (पी.पी.ओ.) की प्रति-(तलाकशुदा/परित्यक्ता महिला के बच्चे)

पालनहार द्वारा जमा करवाये जाने वाले अन्य आवश्यक दस्तावेज

●  पालनहार का "भामाशाह कार्ड/जनआधार कार्ड "

●  पालनहार का "आय प्रमाण पत्र" (विधवा/ परित्यक्ता/तलाकशुदा एवं बी.पी.एल. श्रेणी में आय प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य नहीं है)

●  "मूल निवास प्रमाण पत्र" की प्रति

●  बच्चे का "आधार कार्ड"

●  बच्चे का "आंगनवाडी केन्द्र पर पंजीकरण/विद्यालय में अध्यनरत् होने का प्रमाण पत्र

●  अनाथ बच्चों का पालन-पोषण करने का प्रमाण पत्र" (जिनके माता-पिता की नृत्यु हो गई हो अथवा न्यायिक प्रक्रिया द्वारा मृत्युदण्ड/ आजीवन कारावास से दण्डित किए गए हो अथवा जिनकी विधवा माता ने विधिवत पुनर्विवाह के पश्चात अपनी संतानों को त्याग दिया हो, के लिये ही उक्त प्रमाण पत्र की पूर्ति कराई जानी है)

अनुदान राशि 

●  0-6 वर्ष तक - 500 रुपये प्रतिमाह (0-3 वर्ष तक के बालक/बालिका का आगनबाड़ी केन्द्र में पंजीकरण/शाला पूर्व शिक्षा हेतु | विद्यालय में जाने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य नहीं है तथा 3-8 वर्ष तक के बालक/बालिका का आंगनबाड़ी केन्द्र में पंजीकरण/शाला पूर्व शिक्षा हेतु विद्यालय में जाने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य है)

●  8-18 वर्ष तक - 1000 रुपये प्रतिमाह (बालक/बालिका का विद्यालय/व्यवसायिक शिक्षा हेतु किसी संस्थान में जाने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य| 2000 रुपये वार्षिक अतिरिक्त एकमुश्त देय (विधवा पालनहार व नाता पालनहार में देय नहीं)

पात्रता

 पालनहार का वार्षिक आय रू. 1.20 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए

 एवं बच्चे कम से कम 3 वर्ष से राजस्थान राज्य में निवासरत हो

आवेदन प्रक्रिया

●  ई-मित्र कियोस्क केन्द्र पर संपर्क करें

संपर्क सूत्र :-

●   संबंधित जिला कार्यालय, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग में संपर्क करें 
●   अधिक जानकारी हेतु निदेशालय, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, जयपुर (राज)/फोन नम्बर 0141-2226604/वेबसाईट  www.sje.rajasthan.gov.in

आवश्यक निर्देश :-

●  बच्चे का "आंगनवाडी केन्द्र पर पंजीकरण / विद्यालय में अध्यनरत् होने का प्रमाण पत्र" प्रति वर्ष माह जुलाई में ई-मित्र कियोस्क के माध्यम से अद्यतन (Update) करवाना अनिवार्य होगा अन्यथा पालनहार योजनान्तर्गत देय राशि का भुगतान माह जुलाई से रोक दिया जायेगा।

●  पालनहार का भामाशाह कार्ड अनिवार्य दस्तावेज के रूप में शामिल किया गया है अत: पालनहार को भामाशाह कार्ड प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। (पालनहार का मोबाईल नम्बर भामाशाह कार्ड में दर्ज नहीं होने/मोबाईल नम्बर होने/नोबाईल नम्बर बदले जाने की स्थिति अथवा पालनहार की किसी भी प्रकार का व्यक्तिगत सूचना जैसे पालनहार का नाम, जन्म तिथि, बैंक खाता संख्या आदि में अद्यतन (Update) करवाने की स्थिति में उक्त सूचना नागाशाह कार्ड में अद्यतन (Update) करवाना अनिवार्य होगा)

●  बच्चे का आधार कार्ड अनिवार्य दस्तावेज के रूप में शामिल किया गया है। अतः पालनहार को बच्चे का आधार कार्ड प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा तथा बच्चे का बायोमेट्रीक अथवा ओ.टी.पी. (One Time Password) के माध्यम से सत्यापन करवाना होगा (बच्चे का आधार कार्ड में मोबाईल नम्बर दर्ज नहीं होने/मोबाईल नम्बर बंद/मोबाईल नम्बर बदले जाने की स्थिति अथवा बच्चे का किसी भी प्रकार का व्यक्तिगत सूचना जैसे बच्चे का नाम, जना तिथि आदि में अद्यतन (Update) करयाने की स्थिति में उक्त सूचना आधार कार्ड में अद्यतन (Update) करवाना अनिवार्य होगा)
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गुरुवार, 12 नवंबर 2020

विश्व की प्रमुख जनजातियाँ Major Tribals of the world

विश्व की प्रमुख जनजातियाँ Major Tribals of the world


सेमांग (Semang) -यह मलेशिया के पर्वतीय भागों में सेमांग जनजाति पायी जाती है |
 
बुशमैन (Bushman) - कालाहारी मरुस्थल में निवास करने वाली जनजाति जो हब्शी प्रजाति 

ऐशती (Ashanti)-घाना के एंशाती पठार पर रहने वाली जनजातियाँ।

एस्किमो (Eskimo)-कनाडा के उत्तरी भाग व ग्रीनलैण्ड के क्षेत्र में रहने वाली जनजाति जो मंगोलॉयड प्रजाति की हैं।

बंटू (Bantu)-नीग्रीटो जनजातियों का परिवार सदृश्य जो अफ्रीका के भूमध्य रेखीय भागों में रहते हैं। किक्यू. जुल, गानी, गांडा आदि जनजातियाँ हैं।

अचुआ (Achua)-बेल्जियम कांगो के पिग्मी लोग।

एनू (Ainu) -जापान के (काकेशायड) मूल निवासी।

बरयाट्स (Buryats)-मध्य एशिया में रहने वाली जनजाति।

बिन्दुबू (Bindubu)-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया की जनजाति।

बददू (Benduins)-अरब के उत्तरी भाग (हमद एवं नफूद) मरुस्थल में एवं निर्जन प्रदेशों में कबीले के रूप में चलवासी जीवन व्यतीत करने वाले बदू नीग्रिटो जाति के है।

बाटवा (Batwa)-अफ्रीका के कसाई प्रदेश में रहने वाले पिग्मी लोग। ये छोटे कद के होते हैं।

एबोरिजिन्स (Aborigin)-ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासी, जो ऑस्ट्रेलिया के आन्तरिक भागों में रहती हैं।

दयाक (Dayak)- बोर्नियों में रहने वाला एक वर्ग

फेलाह (Fellah)-मिस्र (नील नदी घाटी) का एक खेतिहर मजदूर।

फूला (Fula) -अफ्रीकी नीग्रो तथा भूमध्य सागरीय काकेशायड मिश्रित सूडानी लोग।

फुलैनी (Fulaini)-उत्तरी नाइजीरिया व आस-पास के लोग।

हांका (Hakka)-पीत नदी के मैदानी भाग के लोग हाका जनजाति के हैं।

हो (Hoh)-संयुक्त राज्य अमेरिका के ओलंपिक प्रायद्वीप में रहने वाले इंडियन लोग हैं।

होटेन्टॉट (Hottentot)-दक्षिणी अफ्रीका के वे लोग जो बुशमैन और बंटू लोगों से काफी मिलते जुलते है

इन्का (Inca)-दक्षिणी अमेरिका के पीरू देश की कुलको घाटी की चवान जाति।

किक्यू (Kikuyu)-कीनिया के कृषक जनजाति जो नीग्रो जाति के हैं|

कुबु (Kubu)-सुमात्रा की जनजाति।

खिरगीज (Khirghiz)-मध्य एशिया के किर्गिजस्तान गणराज्य में पामीर उच्च भूमि और ध्यान शान पर्वतमाला के क्षेत्र में अधिवासित।

मसाई (Masai)-केन्या में पायी जाने वाली घुमक्कड़ी एवं पशुचारक के रूप में जीवन निर्वाह करते हैं। ये बड़ी संख्या में गाय पालते है।

कुर्द (Kurd)-ईरान, इराक, अमीनिया तथा अजरबैजान में बड़े पठारी क्षेत्रों में रहने वाली एक पशुपालक कृषक।

लैप्स (Lapps)-दक्षिण स्कैन्डिनेविया, उत्तरी रूस के कोला प्रायद्वीप की जनजाति जो मत्स्य-संग्रहण, रेंडियर पालन तथा शिकार से अपना जीवन-यापन करती है।

माओरी (Maoni)-न्यूजीलैण्ड के मूल निवासी।

युगात (Yuit)- साइबेरिया तथा अलास्का के सेंटलारेंस द्वीप के एस्कीमो लोग।

रेड इंडियन-उत्तरी अमेरिका के मूल निवासी जो आकार में मंगोलायड प्रजाति से सम्बन्धित लगते हैं। यह नाम कोलम्बस (यूरोपीय) द्वारा दिया गया।
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बुधवार, 11 नवंबर 2020

"होलोग्राफी" एक विशेष त्रिविमीय फोटोग्राफी

होलोग्राफी

● साधारण फोटोग्राफी से किसी वस्तु का केवल द्विविमीय चित्र प्राप्त होता है और इसके लिए सामान्य प्रकाश का ही उपयोग किया जाता है। परंतु, लेजर प्रकाश के उपयोग से एक विशेष प्रकार की त्रिविमीय फोटोग्राफी, अर्थात होलोग्राफी संभव हो सकी है।

● सन् 1969 में एमेट लीय और ज्यूरीस उपानिक्स ने लेजर तकनीक की सहायता से त्रिआयामी होलोग्राफिक चित्र बनाया। 

● इसके लिए दो अलग-अलग शक्ति की लेजर किरणों का इस्तेमाल किया गया था। उल्लेखनीय है कि, इससे बना चित्र अधिक सटीक था और उसकी नकती प्रतिकृति बनाना लगभग असंभव था।

● होलोग्राफी एक त्रिआयामी चित्र को भण्डारित और प्रदर्शित करने की एक विधि है। यह त्रिआयामी चित्र सामान्यतः एक फोटोग्राफिक प्लेट या किसी अन्य प्रकाश संवेदी पदार्थ पर बनाया जाता है। 

● अनावरित प्लेट को होलोग्राम कहा जाता है। कुछ क्रेडिट कार्डों में घोखाघड़ी रोकने के लिए होलो ग्राम का प्रयोग होता है। 

● विज्ञान दृश्य पटलों, कलाकृतियों और आभूषणों में भी होलोग्राम दिखायी देते हैं। होलोग्राम का प्रयोग टायरों, लैंसों, हवाई जहाज के पंखों एवं अन्य उत्पादों में भ्रंशों की पहचान के लिए भी किया जाता है।
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महिला स्वतंत्रता सेनानी नारायणी देवी वर्मा (NARAYANI DEVI VARMA)

महिला स्वतंत्रता सेनानी नारायणी देवी वर्मा 

▶ नारायणी देवी का जन्म मध्य प्रदेश के सिंगोली गांव् में रामसहाय भटनागर के यहाँ हुआ। 

▶बारह वर्ष की अल्पायु में ही उनका विवाह  माणिक्यलाल वर्मा के साथ कर दिया गया ।

▶किसानों व आम जनता पर राजा जागीरदारों के अत्याचार देखकर माणिक्यलाल वर्मा ने आजीवन किसानों, दलितों व गरीबों को सेवा का संकल्प लिया तो नारायणी देवी इस व्रत में उनकी सहयोगिनी बनी। 

▶माणिक्यलाल वर्मा के जेल जाने पर परिवार के पालन- पोषण के साथ ही नारायणी देवी ने घर-मोहल्लों में जाकर लोगों को पढ़ाना एवं शोषण के खिलाफ महिलाओं को तैयार करने के कार्य किये।

▶नारायणी देवी अपनी सहयोगिनियों के साथ घर-घर जागृति संदेश पहुँचाती और लोगों को बेगार, नशा प्रथा एवं बाल-विवाह के विरुद्ध आवाज उठाने एवं संगठित होकर कार्य करने की प्रेरणा देती।उन्होंने डूंगरपुर रियासत में खड़लाई में भीलों के मध्य शिक्षा प्रसार द्वारा जागृति पैदा करने का कार्य भी किया। 

▶1939 ई. में प्रजामण्डल के कार्यों में भाग लेने के कारण उन्हें जेल जाना पड़ा। 1942 ई. में भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लेने के कारण नारायणी देवी को पुनः जेल जाना पड़ा। 

▶1944 ई. में वे भीलवाड़ा आ गई और यहाँ 14 नवम्बर, 1944 को महिला आश्रम संस्था की स्थापना की। यहाँ प्रौढ़ शिक्षा व प्रसूति गृह का संचालन भी किया। 

▶ वे 1970 से 1976 ई. तक राज्यसभा की सदस्य रहीं। 

12 मार्च, 1977 को उनकी मृत्यु हुई।

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अलवर प्रजामण्डल आन्दोलन (ALWAR PRAJAMANDAL AANDOLAN)

अलवर प्रजामण्डल आन्दोलन 

▶1933 ई. में अलवर में कांग्रेस समिति की स्थापना हुई  | इसी कांग्रेस समिति का नाम 1938 ई. में हरिनारायण शर्मा और कुंज बिहारी लाल मोदी ने 'अलवर राज्य प्रजामण्डल' कर दिया। 

▶1938 ई. में प्रजामण्डल ने स्कूलों में फीस वृद्धि का विरोध करते हुए उत्तरदायी शासन स्थापना की मांग की। फलतः हरिनारायण शर्मा सहित कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। मगर प्रजामण्डल कार्यकर्ताओं ने नुक्कड़ सभाओं द्वारा जनजागृति का कार्य जारी रखा। 

▶अगस्त, 1940 में सरकार ने प्रजामण्डल का पंजीकरण कर लिया। पंजीकरण होते ही प्रजामण्डल ने राजगढ़, तिजारा, खैरथल, रामगढ़ आदि में अपनी शाखाएं स्थापित कर जन चेतना का कार्य शुरू कर दिया।

▶1942 ई. के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान प्रजामण्डल ने उत्तरदायी शासन स्थापना की मांग को लेकर आंदोलन चलाया तथा सभाओं एवं प्रदर्शनों के द्वारा राज्य की नीतियों एवं शासन व्यवस्था के विरुद्ध रोष प्रकट किया। सरकार ने प्रजामण्डल कार्यकर्ताओं को जेल में ठूंस कर आंदोलन को दबाने का प्रयास किया, मगर विफल रही। 

▶1948 ई. तक उत्तरदायी शासन स्थापना की मांग को लेकर प्रजामण्डल और राज्य सरकार के मध्य गतिरोध बना रहा। 

▶1 फरवरी, 1948 को भारत सरकार द्वारा अलवर राज्य का शासन अपने हाथ में लेने के साथ ही प्रजामण्डल को माँग समाप्त हो गई। 

▶18 मार्च, 1948 को अलवर 'मत्स्य संघ का हिस्सा बन गया।

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राजस्थान के भूमिज शैली के मंदिर (Bhumij Shaili Temple of Rajasthan)

राजस्थान के भूमिज शैली के मंदिर 

▶ भूमिज शैली मंदिर निर्माण की नागर शैली की उपशैली है। 

▶ इस शैली की विशेषता मुख्यतः उसके शिखर में परिलक्षित है। इस शिखर के चारों और प्रमुख दिशाओं में तो लतिन या एकान्डक शिखर की भाँति, ऊपर से नीचे तक चैत्यमुख डिजायन वाले जाल की लतायें या पट्टियाँ रहती हैं लेकिन इसके बीच में चारों कोणों में, नीचे से ऊपर तक क्रमशः घटते आकार वाले छोटे-छोटे शिखरों की लड़ियाँ भरी रहती हैं। 


▶ राजस्थान में भूमिज शैली का सबसे पुराना मंदिर पाली जिले में सेवाड़ी का जैन मंदिर (लगभग 1010-20 ई.) है।

▶ इसके बाद मैनाल का महानालेश्वर मंदिर ( 1075 ई.) है, जो पंचरथ व पंचभूम है। यह मंदिर पूर्णतः अखंडित है व अपने श्रेष्ठ अनुपातों के लिए दर्शनीय है। 

▶ रामगढ़ (बारां) का भण्ड देवरा व बिजौलिया का उंडेश्वर मंदिर (लगभग 1125 ई.) दोनों गोल व सप्तरथ हैं। रामगढ़ मंदिर सप्तभूम है जबकि उंडेश्वर नवभूम है। रामगढ़ मंदिर अपनी पीठ की सजावट, मण्डप व स्तम्भों की भव्यता व मूर्तिशिल्य के लिए दर्शनीय है। 

▶ झालरापाटन का सूर्य मंदिर सप्तरथ व सप्तभूम है लेकिन उसकी लताओं में अनेकाण्डक शिखरों की भांति उरहश्रृंग जोड़ दिये गए हैं। 

सूर्य मंदिर झालरापाटन

▶  रणकपुर का सूर्य मंदिर व चित्तौड़ का अद्भुत नाथ मंदिर भी भूमिज शैली के हैं।


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मंगलवार, 10 नवंबर 2020

विश्व के प्रमुख देशो के राष्ट्रीय प्रतीक National symbols of major countries of the world

 विश्व के प्रमुख देशो के राष्ट्रीय प्रतीक National symbols of major countries of the world

 विश्व के प्रमुख देशो के राष्ट्रीय प्रतीक

क्रम संख्या

देश

प्रतीक

1

भारत

अशोक चक्र

2

फ्रांस

लिली

3

बेल्जियम

शेर

4

डेनमार्क

बीच

5

चिली

कंडोर एवं ह्युमुल

6

कनाडा

मैपल पक्षी

7

यूनाइटेड किंगडम

सफ़ेद लिली

8

ईरान

गुलाब का फूल

9

आस्ट्रेलिया

वैटल

10

बांगलादेश

कँवल(वाटर लिली)

11

स्पेन

जिम्बाबे पक्षी

12

रूस

शेर

13

सीरिया

चाँद तारा

14

तुर्की

शेर

15

नीदरलैंड

फर्न ,कीवी

16

नार्वे

शेर

17

पाकिस्तान

चमेली का फूल

18

सूडान

ईगल

19

आयरलैंड

हार्प

20

लेबनान

सीडर पक्षी

21

इटली

सफ़ेद लिली

22

जर्मनी

ईगल

23

मगोलिया

ईगल

24

इजरायल

कैंडलाबुम

 


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