होलोग्राफी
● साधारण फोटोग्राफी से किसी वस्तु का केवल द्विविमीय चित्र प्राप्त होता है और इसके लिए सामान्य प्रकाश का ही उपयोग किया जाता है। परंतु, लेजर प्रकाश के उपयोग से एक विशेष प्रकार की त्रिविमीय फोटोग्राफी, अर्थात होलोग्राफी संभव हो सकी है।
● सन् 1969 में एमेट लीय और ज्यूरीस उपानिक्स ने लेजर तकनीक की सहायता से त्रिआयामी होलोग्राफिक चित्र बनाया।
● इसके लिए दो अलग-अलग शक्ति की लेजर किरणों का इस्तेमाल किया गया था। उल्लेखनीय है कि, इससे बना चित्र अधिक सटीक था और उसकी नकती प्रतिकृति बनाना लगभग असंभव था।
● होलोग्राफी एक त्रिआयामी चित्र को भण्डारित और प्रदर्शित करने की एक विधि है। यह त्रिआयामी चित्र सामान्यतः एक फोटोग्राफिक प्लेट या किसी अन्य प्रकाश संवेदी पदार्थ पर बनाया जाता है।
● अनावरित प्लेट को होलोग्राम कहा जाता है। कुछ क्रेडिट कार्डों में घोखाघड़ी रोकने के लिए होलो ग्राम का प्रयोग होता है।
● विज्ञान दृश्य पटलों, कलाकृतियों और आभूषणों में भी होलोग्राम दिखायी देते हैं। होलोग्राम का प्रयोग टायरों, लैंसों, हवाई जहाज के पंखों एवं अन्य उत्पादों में भ्रंशों की पहचान के लिए भी किया जाता है।
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