अलवर प्रजामण्डल आन्दोलन
▶1933 ई. में अलवर में कांग्रेस समिति की स्थापना हुई | इसी कांग्रेस समिति का नाम 1938 ई. में हरिनारायण शर्मा और कुंज बिहारी लाल मोदी ने 'अलवर राज्य प्रजामण्डल' कर दिया।
▶1938 ई. में प्रजामण्डल ने स्कूलों में फीस वृद्धि का विरोध करते हुए उत्तरदायी शासन स्थापना की मांग की। फलतः हरिनारायण शर्मा सहित कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। मगर प्रजामण्डल कार्यकर्ताओं ने नुक्कड़ सभाओं द्वारा जनजागृति का कार्य जारी रखा।
▶अगस्त, 1940 में सरकार ने प्रजामण्डल का पंजीकरण कर लिया। पंजीकरण होते ही प्रजामण्डल ने राजगढ़, तिजारा, खैरथल, रामगढ़ आदि में अपनी शाखाएं स्थापित कर जन चेतना का कार्य शुरू कर दिया।
▶1942 ई. के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान प्रजामण्डल ने उत्तरदायी शासन स्थापना की मांग को लेकर आंदोलन चलाया तथा सभाओं एवं प्रदर्शनों के द्वारा राज्य की नीतियों एवं शासन व्यवस्था के विरुद्ध रोष प्रकट किया। सरकार ने प्रजामण्डल कार्यकर्ताओं को जेल में ठूंस कर आंदोलन को दबाने का प्रयास किया, मगर विफल रही।
▶1948 ई. तक उत्तरदायी शासन स्थापना की मांग को लेकर प्रजामण्डल और राज्य सरकार के मध्य गतिरोध बना रहा।
▶1 फरवरी, 1948 को भारत सरकार द्वारा अलवर राज्य का शासन अपने हाथ में लेने के साथ ही प्रजामण्डल को माँग समाप्त हो गई।
▶18 मार्च, 1948 को अलवर 'मत्स्य संघ का हिस्सा बन गया।
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