कविराजा बांकीदास जी आसिया का जीवन परिचय (Biography Bankidas Ji Asiya)
बांकीदास जी आसिया
▶बांकीदास जी का जन्म आसिया शाखा के चारण वंश में पचपदरा परगने के भांडीयावास गाँव में हुआ।
▶रामपुर के ठाकुर अर्जुनसिंह ने इनकी शिक्षा का प्रबन्ध जोधपुर में किया। यहाँ बांकीदास जी जोधपुर महाराजा मानसिंह के गुरु देवनाथ के सम्पर्क में आये, जिन्होंने इनका परिचय मानसिंह से कराया। मानसिंह ने इनकी विद्वता से प्रभावित होकर प्रथम भेंट में ही इन्हें 'लाख पसाव' पुरस्कार से सम्मानित किया।
▶बांकीदास जी डिंगल, पिंगल, संस्कृत, फारसी आदि भाषाओं के ज्ञाता थे। आशु कवि के रूप में उनकी प्रसिद्धि पूरे राजपूताना में थी।
▶बांकीदास जी में स्वाभिमान एवं निर्भीकता के गुण विद्यमान थे। उन्होंने राजकुमार छत्रसिंह को शिक्षा देने में असमर्थता व्यक्त कर दी, क्योंकि वह अयोग्य था।
▶इन्होने महाराजा मानसिंह को नाथ सम्प्रदाय के बढ़ते हुए प्रभाव के प्रति आगाह किया, जिससे मानसिंह क्रोधित हो गया। स्वाभिमानी बांकीदासजी ने जोधपुर छोड़ दिया, जिसे महाराजा ने ससम्मान वापस बुलवाया।
▶बांकीदासजी इतिहास को वार्ता द्वारा व्यक्त करने में प्रवीण थे। एक ईरानी सरदार ने अपनी जोधपुर यात्रा के दौरान किसी इतिहासवेत्ता से मिलने की इच्छा प्रकट की तो, महाराजा मानसिंह ने उसे बांकीदास जी से मिलवाया। बांकीदास जी से वार्ता के बाद उसने स्वीकार किया कि ईरान के इतिहास का ज्ञान मुझसे कहीं अधिक बांकीदासजी को है।
▶19 जुलाई, 1933 को जोधपुर में बांकीदास की मृत्यु हो गई।
▶बांकीदास जी द्वारा लिखे गये 36 काव्य ग्रन्थ प्राप्त हैं। जिनमें सूर छत्तीसी, गंगालहरी, वीर विनोद आदि महत्त्वपूर्ण हैं। किन्तु बांकीदास की महत्त्वपूर्ण कृति 'ख्यात' है। |
▶1956 ई. में नरोत्तमदास स्वामी ने बांकीदासजी की ख्यात को प्रकाशित किया। ख्यात दो प्रकार से लिखी हुई प्राप्त होती है संलग्न और फुटकर ख्यात। प्रथम प्रकार को ख्यात में विषय क्रमबद्ध और निरन्तर रहता है, जबकि द्वितीय प्रकार की ख्यात म विषय विश्रृंखल, अलग-अलग और बातों के रूप में मिला है।
▶बांकीदासजी की ख्यात में लिखी 'ऐतिहासिक-बातें' संक्षिप्त लिपि अथवा तार की संक्षिप्त भाषा के समान लिखी हई वहद विषय की सचना स्रोत हैं, जैसे बात संख्या 2774-जीवनसिंध पाहाड़ दिली राज कियो" इनकी ख्यात में कुल बातों की संख्या 2776 है। इन बातों से राजस्थान के इतिहास के साथ पडोसी राज्यों के इतिहास सम्बन्धी तथा मराठा, सिक्ख, जोगी, मुसलमान, फिरंगी आदि की ऐतिहासिक सूचनाएँ प्राप्त होती हैं। सर्वाधिक विवरण मारवाड तथा देश के अन्य राठौड राज्यों के सम्बन्ध में है। मेवाड़ की राजनीतिक घटनाओं का भी ख्यात में वर्णन मिलता है। गहलोतों के साथ ही यादवों की बात, कछवाहों की बात, पड़िहारों की बात, चौहानों की बात में अलगअलग राज्यों के इतिहास वृत्तान्तों की सूचनाएँ संगृहीत हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न जातियों, धार्मिक तथा फुटकर विषयक बातों के साथ-साथ भौगोलिक बातों का समावेश ख्यात की मुख्य विशेषता है। वस्तुतः बांकीदास की ख्यात इतिहास का खजाना है।
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