रविवार, 20 जून 2021

अमर सागर जैन मंदिर जैसलमेर (Amar Sagar Jain Temple Jaisalmer)


अमर सागर जैन मंदिर जैसलमेर (Amar Sagar Jain Temple Jaisalmer)

लोद्रवा के रास्ते केवल 6 किलोमीटर पर स्थित यह जगह महाराजा अमर सिहं ने एक जलाशय के रूप में 1688 में विकसित की थी। यह एक प्राकृतिक स्थान है । यहां के बांध बारिश का पानी रोकने के लिये बनवाये गये थे । अनेक पृष्ठभाग तैयार किये गये जिन पर गर्मी के दिनों के लिये महल मन्दिर तथा बगीचे विकसित किये गये। 

अमर सागर जैन मंदिर 

तालाब के दक्षिण में बड़ा ही खूबसूरत जैन मन्दिर है, जिसका निर्माण जैसलमेर के पटवा सेठ हिम्मत मल बाफना ने 1871 में बनवाया था ।
पटवा सेठ हिम्मत मल बाफना कि छतरी 

बाफना समाज के इतिहास कुछ इस तरह से बताया जाता है। परमार राजा पृथ्वीपाल के वशंज राजा जोबनपाल और राजकुमार सच्चीपाल ने कई युद्ध जीते जिसका श्रेय उन्होंने 'बहुफणा पार्श्वनाथ शत्रुंजय महा मन्त्र' के लगातार उच्चारण को दिया।युद्ध जीतने के बाद उन्होंने जैन आचार्य दत्तसुरी जी से जैन धर्म की दीक्षा ली।उसके बाद से वे बहुफणा कहलाने लगे।

अमर सागर तालाब 

 कालान्तर में बहुफणा, बहुफना, बाफना या बापना में बदल गया। बाफना समाज की कुलदेवी ओसियां की सच्चीय माता हैं। इसीलिए इनके मंदिरों में जैन तीर्थंकर के अतिरिक्त हिन्दू मूर्तियाँ भी स्थापित की जाती हैं।

अमर सागर जैन मंदिर का दृश्य बाहर से 

मंदिर में ज्यादातर जैसलमेर का पीला पत्थर इस्तेमाल किया गया है। पर साथ ही सफ़ेद संगमरमर और हल्का गुलाबी जोधपुरी पत्थर भी कहीं कहीं इस्तेमाल किया गया है।मंदिर के स्तम्भ, झऱोखे और छतों पर कमाल की नक्काशी है।

अमर सागर जैन मंदिर का बाहरी भाग 


जैसलमेर से मंदिर तक आने जाने के लिए आसानी से वाहन मिल जाते हैं।प्रवेश के लिए  शुल्क है और कैमरा शुल्क देकर फोटो भी ली जा सकती हैं. मंदिर सुबह से शाम तक खुला रहता है।

अमर सागर जैन मंदिर का उपरी भाग 

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