"पोमचा" - राजस्थान की एक प्रसिद्ध ओढ़नी
◆ राजस्थान में स्त्रियों की ओढ़नियों मे तीन प्रकार की रंगाई होती है- पोमचा, लहरिया और चूंदड़।◆ पोमचा पद्म या कमल से संबद्ध है, अर्थात इसमें कमल के फूल बने होते हैं। यह एक प्रकार की ओढ़नी है।
◆ वस्तुतः पोमचा का अर्थ कमल के फूलके अभिप्राय से युक्त ओढ़नी है। यह मुख्यतः दो प्रकार से बनता है- 1. लाल गुलाबी 2. लाल पीला।
◆ इसकी जमीन पीली या गुलाबी हो सकती है।इन दोनो ही प्रकारों के पोमचो में चारो ओर का किनारा लाल होता है तथा इसमें लाल रंग से ही गोल फूल बने होते हैं।
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POMCHA पोमचा राजस्थान की एक ओढनी |
◆ यह बच्चे के जन्म के अवसर पर पीहर पक्ष की ओर से बच्चे की मां को दिया जाता है।
◆ सूर्य पूजन के समय बच्चे का नए वस्त्रों के साथ नवप्रसूता को मायके से भेजा गया लिए विशेष परिधान " पीला " पहनना आवश्यक होता है, जो उनके चेहरे की पीतवर्ण आभा को और अधिक सुवर्णमय बनाता है
◆ पीले अथवा नारंगी रंग की पृष्ठभूमि के साथ लाल बॉर्डर इस परिधान की विशेषता है। इस पर भी आरी तारी की कढ़ाई के साथ बेल बूटे होते हैं।जगमग बेल बूटों की कढ़ाई के साथ लाल और पीले रंग में रंग पीला साडी या ओढ़नी पहनकर जच्चा जब गोद में बच्चे को लेकर पूजन करती है तो उसके चेहरे पर वात्सल्य की आभा और अभिमान की छटा देखते ही बनती है ! इसके बाद अन्य पूजन अथवा शुभ कार्यों में माएं चुन्दडी के स्थान पर पीले का प्रयोग भी करती हैं।
◆ पुत्र का जन्म होने पर पीला पोमचा तथा पुत्री के जन्म पर लाल पोमचा देने का रिवाज है।
◆ पोमचा राजस्थान में लोकगीतों का भी विषय है।पुत्र के जन्म के अवसर पर "पीला पोमचा" का उल्लेख गीतों में आता है। एक गीत के बोल इस तरह है-
" भाभी पाणीड़े गई रे तलाव में, भाभी सुवा तो पंखो बादळ झुकरया जी।
देवरभींजें तो भींजण दो ओदेवर और रंगावे म्हारी मायड़ली जी।।"
अर्थात देवरकहता है कि भाभी तुम पानी लेने जा रही हो परंतु घटाएं घिर रही है, तुम्हारा पीला भीग जाएगा, रंगचूने लगेगा। तब भाभी कहती है कि कोई बात नहीं देवर मेरी मां फिर से रंगवा देगी।
◆ एक अन्य गीत में नवप्रसूता अपने पति से पिला रंगवाने को कहती है-
पिळो रंगावो जी
पाँच मोहर को साहिबा पिळो रंगावो जी
हाथ बतीसी गज बीसी गाढा मारू जी
पिळो रंगावो जी
दिल्ली सहर से साईबा पोत मंगावो जी
जैपर का रंगरेज बुलावो गाढा मारू जी
पिळो रंगावो जी
◆ एक अन्य गीत में नवप्रसूता पत्नी अपने पति से पीला रंगवाने का अनुरोध करती है।
" बाईसा रा वीरा, पीलो धण नै केसरी रंगा दो जी।"
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