शनिवार, 25 अप्रैल 2015

Jewelery in the life style of women in Rajasthan-राजस्थान में महिलाओं की जीवन-शैली में आभूषण


राजस्थान में महिलाओं की जीवन-शैली में आभूषण एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है। यूं तो राजस्थानी आभूषण महिलाओं की प्रतिदिन की साज-सज्जा का अंग है, किन्तु ये उनकी वर्तमान स्थिति (वैवाहिक स्थिति) को भी अभिव्यक्त करती है। राजस्थान में महिलाओं के सर से पाँव तक पारंपरिक आभूषण से सजने में उनकी वैवाहिक स्थिति का कड़ाई से पालन किया जाता है। राजस्थान की महिलाएं सिर ले कर पाँव तक स्वयं को सज्जित करती है। राजस्थान में ललाट के आभूषणों की एक दीर्घ परंपरा है।
इनमें से एक आभूषण बोर है। बोर को स्त्रियाँ अपनी ललाट के ठीक मध्य में पहनती है, या सर-माँग के रूप में केवल बालों के विभाजन के स्थान में पहना जाता है, अथवा यह एक माथा-पट्टी की तरह एक सिर-बंधन (हेड-बैंड) के रूप में हो सकता है। बोर या रखड़ी जिसे घुंडी या बोरला भी कहा जाता है, केश-रेखा पर ललाट के मध्य स्थल पर भूषित किया जाता है। इसे सोने या चांदी का बनाया जाता है तथा इसकी आकृति सामान्यतः गोलाकार होती है यद्यपि यह कभी-कभी समतल-शीर्ष आकार का भी रखा जाता है। इसकी सतह पर विभिन्न प्रकार की डिजाइन को आमतौर पर ग्रैन्युलेशन (दाने बनाने की प्रक्रिया) के माध्यम से बनाई जाती है। इसके पार्श्व में तथा पीछे अन्य आभूषणों को जोड़े जाने का प्रावधान भी रखा जाता है। बोर को कभी कभी लाख और स्वर्ण धातु के संयोजन से बनाया जाता है। इसके गोले के सामने एक छोटी नली जोड़ी जाती है। आमतौर पर इस आभूषण के घुमावदार फलक पर रंगीन मोती पिरोए जाते हैं। बोर के नीचे अर्ध वृत्ताकार ढांचा बनाती हुई एक चैन पहनी जाती है जो 'तिड़ीबलका' या 'तिड़ीभलका' कहलाती है। बोर विवाह का आवश्यक प्रतीक माना जाता है तथा इसे शादी की रस्में पूरी हो जाने के पश्चात् ही धारण किया जाता है।इसे वधू को दूल्हे के परिवार की ओर से भेंट किया जाता है तथा विवाहित स्त्री द्वारा इसे प्रतिदिन पहना जाता है। बोर कहा जाने वाला आभूषण सामुदायिक विभिन्नताएं परिलक्षित करता है। राजपूत , माहेश्वरी और ओसवाल जातियों में यह आभूषण सोने से बना पाया जाता है,जबकि दूसरों के लिए यह चांदी से बना होता है। मेघवाल जाति की महिलाएं मोतियों से बना बोर या कभी-कभी चांदी का एक छोटा सा ग्लोब जैसा बोर पहनती हैं। भील महिलाएं भी चांदी का बोर पहनती हैं,जिस पर सामान्यतया एक 'झाबिया' या चैन जुडी होती है और इसे अपनी जगह पर स्थिर रखने के लिए एक मोटी सूती रस्सी द्वारा सिर के पीछे के बालों से बांधा जाता है। कुछ बोर में धातु की चैन होती है जिसे 'डोरा' कहा जाता है, जो कान के पीछे घूमती हुई दोनों तरफ जुडी होती है और सिर के पीछे मजबूती से बंधी होती है।
रखड़ी जिसे घुंडी भी कहा जाता है, एक गोल एवं भारी आभूषण है। केश-रेखा पर ललाट के मध्य स्थल पर भूषित किया जाता है। इसे सोने या चांदी का बनाया जाता है। झेला कई चैनों की श्रृंखला है जो बोर के भार को संबल प्रदान करती है। साधारणतया सिर पर दो झेला पहने जाते है जो प्रत्येक कान के रिंग (ईयर-रिंग) की केन्द्रीय रॉड से गुजरते हैं तथा बोर को ललाट के केंद्र पर रखते हैं। यह आभूषण का ढांचा ललाट पर बालों को घेरे रहता है।बोर को वर्णित करने के लिए अन्य नाम सांकली, दामिनी, तथा मोरो है।
पान को डोरा के पीछे पहना जाता है जो माथे पर सीधा लेटा रहता है। इसका 'पान' नाम इसकी पान जैसी आकृति के आधार पर है। पान दिल के आकार के छोटे कट-आउट में बनाया जाता है तथा चैनों से लिपटा हुआ रहता है।
माथापट्टी एक प्रकार का हेड-बैंड होता है जो सामान्यतः सोने की बनाई जाती है। ये लोकप्रिय आभूषण है जिसे क्षेत्र के सभी समुदायों की महिलाओं द्वारा पहना जाता है। यह एक कान से प्रारंभ हो कर दूसरे कान पर समाप्त होती है तथा केश-रेखा (hairline ) पर स्थिर रहती है। इससे एक टीका या सिर-माँग जुड़ा हो सकता है तथा इसे विस्तृत शीर्ष आभूषण बनाता है। साधारणतया 'कर्ण-फूल' कहे जाने वाले ईअर-रिंग्स इसके दोनों ओर जुड़े रहते हैं। माथा-पट्टी, कर्णफूल तथा टीके का यह संयोजन "फूल-झीमका-बिन्द-सुड़ा" कहलाता है।
सेलड़ी एक लोकप्रिय केश-आभूषण है तथा यह वेणी या चोटी के अंत में पहना जाता है। सोने या चांदी से बना 5-10 से.मी. लंबा यह आभूषण शंक्वाकार होता है तथा इसके आधार में छोटी घंटियाँ लटकी रहती है।
शीशफूल का शाब्दिक अर्थ सिर का पुष्प है।सामान्यतः यह आभूषण सोने का बनाया जाता है तथा इससे फूल वाले तीन समतल लटकन (पेंडेंट) जुड़ेहोते हैं, जिसमें एक छोटा लटकन (पेंडेंट) मध्य में होता है। इस आभूषण पर बारीक कलात्मक कार्य किया जाता है। यह आभूषण पान के बाद पहना जाता है तथा यह इसके समान्तर रहता है। सिर-माँग को अपने नाम के अनुरूप सिर के बालों के विभाजन स्थल या माँग में सजाया जाता है। इस आभूषण की संरचना में मोती एवं मूल्यवान पत्थर के साथ जुड़ी चैन होती है।
टीका सिर व ललाट की सीमा रेखा पर लटका कर पहना जाने वाला आभूषण है। ये एक वृत्ताकार या दिल के आकार का आभूषण है, जिसके पीछे एक चैन जुडी होती है। यह चैन टीके को पीछे की तरफ बालों में बंधी रहती है। टीके को
तोडला भी कहा जाता है।
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