Samadhishwar Mahadev Temple-Mokalji Temple Chittorgarh fort समाधीश्वर/समिधेश्वर महादेवजी का मन्दिर-मोकलजी का मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग
◆ विजय-स्तम्भ के दक्षिण में समिद्धेश्वर महादेव का एक प्राचीन मन्दिर है जिसके निज-मन्दिर में शिवलिंग के पीछे दीवार पर शिव की त्रिमूर्ति है।
◆ शिव के ये तीन मुख 'सत (सत्यता), रज (वैभव), व 'तम' (क्रोध) के द्योतक हैं।
◆ शिव को समर्पित इस मन्दिर का निर्माण परमार शासक भोज द्वारा ग्यारहवीं सदी के मध्य में किया था। विक्रम संवत 1485 (1428 ई.) में मोकल ने इस मन्दिर का पुर्ननिर्माण करवाया।
◆ क्षैतिज योजना में मन्दिर गर्भगृह, अन्तराल, मण्डप के साथ उत्तर, दक्षिण व पश्चिम में सुखमण्डप से युक्त है। मण्डप की छत पिरामिड आकार की है। गर्भगृह में विशाल शिव की त्रिमूर्ति स्थापित है।
◆ मंदिर के भीतरी एवं बाहय दीवारें देवी-देवताओं की आकृतियों से सुसज्जित है। साथ ही प्रांगण में अनेक छोटे-छोटे प्राचीन मन्दिर स्थित है। मंदिर के दक्षिण से पवित्र गोमुख जलाशय में उतरने हेतु सोपान बने हुए है ।
◆ इस मन्दिर में दो शिलालेख हैं। एक शिलालेख सन् 1150 ई का है जिसके अनुसार गुजरात के सोंलकी कुमारपाल का अजमेर के चौहान अनाजी (अनंगपाल) को परास्त कर चित्तौड़ आना ज्ञात होता है
◆ तथा दूसरा शिलालेख सन् 1428 का महाराणा मोकल के सम्बन्ध में हैं। इस मन्दिर को 'मोकलजी का मन्दिर' भी कहते हैं ।
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