हिंगलू अहाड़ा के महल चित्तौड़
◆ कुकड़ेश्वर मंदिर से आगे बढ़ने पर दाहिनी तरफ सड़क से कुछ दूर बस्ती के उत्तर में, ऊँची चट्टान पर स्थित महल के कुछ खण्डहर दिखाई देते हैं।
◆ ये महल हिंगलू अहाड़ा के महल के नाम से प्रसिद्ध हैं। पूर्वकाल से 'अहाड़ स्थान पर रहने के कारण मेवाड़ के राणाओं का उपनाम 'अहाड़ा' हुआ और डूंगरपुर तथा बांसवाड़े के राजा भी 'अहाड़ा' कहलाते रहे।
◆ हिंगलू डूंगरपुर का अहाड़ा सरदार था और इन महलों में रहता था जिससे ये महल 'हिंगलू अहाड़ा के महल' कहलाये।
◆ये " रतनसिंह के महल" के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। ऐसा कहा जाता है कि महाराणा सांगा का पुत्र रतनसिंह (महाराणा रतनसिंह द्वितीय) इन महलों में रहता था जिसके कारण इन्हें रतनसिंह महल कहने लगे ।
◆इन महलों के नीचे ही पूर्व में रतनेश्वर तालाब है जिसके पश्चिमी किनारे पर एक शिवालय है जो 'रतनेश्वर महादेव का मन्दिर' के नाम से प्रसिद्ध है।
◆हिंगलू अहाड़ा महल से सड़क उत्तर की ओर 'लाखोटा बारी' की ओर जाती है । यह दुर्ग की उत्तरी-पूर्वी दीवार में एक छोटा सा द्वार है। इसी द्वार के पास राठौड़ जयमल की टांग में अकबर की गोली लगी थी ।
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