शनिवार, 29 जनवरी 2022

"सतारा" सुरीली आवाज का अनोखा सुषिर लोक वाद्ययंत्र ("Satara" -A Unique folk instrument)


"सतारा" सुरीली आवाज का अनोखा सुषिर लोक वाद्ययंत्र ("Satara" -A Unique folk instrument)

◆ यह अलगोजा, बाँसुरी और शहनाई का समन्वित वाद्य है।
◆अलगोजे की भाँति इसमें दो लम्बी बाँसुरियाँ होती हैं जिनमें से एक आधार स्वर देती है तथा दूसरी बाँसुरी के छः छेदों को दोनों हाथों की उंगलियों से बजाया जाता है। 
◆ प्रथम बाँसुरी में  छ: छेद होते हैं किन्तु उनमें से पाँच को मोम से बंद रखा जाता है।
 ◆ इस वाद्य की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि किसी भी इच्छित छेद को बन्द करके आवश्यकतानुसार सप्तक में परिवर्तन किया जा सकता है। 
◆ इस पर गत व गीत दोनों बजाये जाते हैं।
◆ जैसलमेर व बाड़मेर के जन-जाति के लोग, गडरिया, मेघवाल और मुस्लिम इसे बजाते हैं।

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