मंगलवार, 10 नवंबर 2015

Heart touching .... childhood diwali .....-दिल को छू गई....बचपन वाली दिवाली .....(happy diwali)


RAJASTHAN DISCOVER के सभी पाठको को दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाए ये दिवाली आप सभी की ज़िंदगी में ढेर सारी खुशियाँ लेकर आए
★Har Pal Sunhare phool Khilte rahe,
Kabhi Na Ho Kaanto Ka Saamna,
Zindagi Aapki Khushiyo Se Bhari Rahe,
Deepavali Par Humari Yahi Shubkamna★
whatsapp की दुनिया से आप सभी के लिए एक छोटी सी कविता आपके सामने ला रहा हु उम्मीद है इसे पढ़ने के बाद आपकी कुछ पुरानी यादे ताजा हो जाएंगी
                                                  ○○○○○●●●●●○○○○○
दिल को छू गई....
बचपन वाली दिवाली .....
हफ्तों पहले से साफ़-सफाई में जुट जाते हैं
चूने के कनिस्तर में थोड़ी नील मिलाते हैं
अलमारी खिसका खोयी चीज़ वापस पाते हैं
दोछत्ती का कबाड़ बेच कुछ पैसे कमाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....
दौड़-भाग के घर का हर सामान लाते हैं
चवन्नी -अठन्नी पटाखों के लिए बचाते हैं
सजी बाज़ार की रौनक देखने जाते हैं
सिर्फ दाम पूछने के लिए चीजों को उठाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....
बिजली की झालर छत से लटकाते हैं
कुछ में मास्टर बल्ब भी लगाते हैं
टेस्टर लिए पूरे इलेक्ट्रीशियन बन जाते हैं
दो-चार बिजली के झटके भी खाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....
दूर थोक की दुकान से पटाखे लाते है
मुर्गा ब्रांड हर पैकेट में खोजते जाते है
दो दिन तक उन्हें छत की धूप में सुखाते हैं
बार-बार बस गिनते जाते है
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....
धनतेरस के दिन कटोरदान लाते है
छत के जंगले से कंडील लटकाते हैं
मिठाई के ऊपर लगे काजू-बादाम खाते हैं
प्रसाद की थाली पड़ोस में देने जाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....
माँ से खील में से धान बिनवाते हैं
खांड के खिलोने के साथ उसे जमके खाते है
अन्नकूट के लिए सब्जियों का ढेर लगाते है
भैया-दूज के दिन दीदी से आशीर्वाद पाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....
दिवाली बीत जाने पे दुखी हो जाते हैं
कुछ न फूटे पटाखों का बारूद जलाते हैं
घर की छत पे दगे हुए राकेट पाते हैं
बुझे दीयों को मुंडेर से हटाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं ....
बूढ़े माँ-बाप का एकाकीपन मिटाते हैं
वहीँ पुरानी रौनक फिर से लाते हैं
सामान से नहीं ,समय देकर सम्मान जताते हैं
उनके पुराने सुने किस्से फिर से सुनते जाते हैं
चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं .

उम्मीद है इस कविता से आप में से बहुत से लोगो की बचपन की यादे ताजा हो गयी होंगी होंगी भी क्यों नहीं बचपन होता ही ऐसा है जिसे हम कभी भूल ही नहीं सकते जब बचपन की यादे ताजा होती है तो बस फिर से बच्चा बन जाने का मन करता है अपनी इन बातो को यही स्टॉप करता हु वार्ना शायद पता नहीं बचपन की कौन कौन सी बाते यहाँ लिख दूंगा

चलते चलते आप सभी के लिए दीपावली के कुछ खास वॉलपेपर छोड़ कर जा रहा हु जो आपने मॉनिटर की शोभा बढ़ाएंगे


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