सोमवार, 12 मई 2014

शूरवीर महाराणा प्रताप


maharana pratap
नाम - कुँवर प्रताप जी {श्री महाराणा प्रताप
सिंह जी}
जन्म - 9 मई, 1540 ई.
जन्म भूमि - राजस्थान, कुम्भलगढ़
मृत्यु तिथि - 29 जनवरी, 1597 ई.
पिता - श्री महाराणा उदयसिंह जी
माता - राणी जीवत कँवर जी
राज्य सीमा - मेवाड़
शासन काल - 1568–1597 ई.
शा. अवधि - 29 वर्ष
वंश - सुर्यवंश
राजवंश - सिसोदिया
राजघराना - राजपूताना
धार्मिक मान्यता - हिंदू धर्म
युद्ध - हल्दीघाटी का युद्ध
राजधानी - उदयपुर
पूर्वाधिकारी - महाराणा उदयसिंह जी
उत्तराधिकारी - राणा अमर सिंह जी
अन्य जानकारी - श्री महाराणा प्रताप
सिंह जी के पास एक सबसे प्रिय घोड़ा था,
जिसका नाम 'चेतक' था।‌‌‌‌‌‌‌ "राजपूत शिरोमणि श्री महाराणा प्रताप सिंह जी" उदयपुर, मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे। वह तिथि धन्य है, जब मेवाड़ की शौर्य-भूमि पर मेवाड़-मुकुट मणि राणा प्रताप जी का जन्म हुआ। श्री प्रताप जी का नाम इतिहास में वीरता और दृढ प्रण के लिये अमर है।
श्री महाराणा प्रताप जी की जयंती विक्रमी सम्वत् कॅलण्डर के अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है। श्री महाराणा प्रताप सिंह जी के बारे में कुछ रोचक जानकारी :-
1... श्री महाराणा प्रताप सिंह जी एक ही झटके में घोड़े समेत दुश्मन सैनिक को काट डालते थे।
2.... जब इब्राहिम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे तब उन्होने अपनी माँ से पूछा कि हिंदुस्तान से आपके लिए क्या लेकर अाए| तब माँ का जवाब मिला ” उस महान देश की वीर भूमि हल्दी घाटी से एक मुट्ठी धूल लेकर आना जहाँ का राजा अपनी प्रजा के प्रति इतना वफ़ादार था कि उसने आधे हिंदुस्तान के बदले अपनी मातृभूमि को चुना ” बदकिस्मती से उनका वो दौरा रद्द हो गया था | “बुक ऑफ़ प्रेसिडेंट यु एस ए ‘ किताब में आप ये बात पढ़ सकते है |
3.... श्री महाराणा प्रताप सिंह जी के भाल का वजन 80 किलो था और कवच का वजन 80 किलो कवच , भाला, ढाल, और हाथ में तलवार का वजन मिलाये तो 207 किलो था।
4.... आज भी महाराणा प्रताप की तलवार कवच आदि सामान उदयपुर राज घराने के संग्रहालय में सुरक्षित हैं |
5.... अकबर ने कहा था कि अगर राणा प्रताप मेरे सामने झुकते है तो आधा हिंदुस्तान के वारिस वो होंगे पर बादशाहत अकबर की ही रहेगी पर श्री महाराणा प्रताप जी ने किसी की भी आधीनता स्वीकार करने से मना कर दिया |
6.... हल्दी घाटी की लड़ाई में मेवाड़ से 20000 सैनिक थे और अकबर की ओर से 85000 सैनिक युद्ध में सम्मिलित हुए |
7.... श्री महाराणा प्रताप जी के घोड़े चेतक का मंदिर भी बना हुवा हैं जो आज भी हल्दी घाटी में सुरक्षित है |
8.... श्री महाराणा प्रताप जी ने जब महलो का त्याग किया तब उनके साथ लुहार जाति के हजारो लोगो ने भी घर छोड़ा और दिन रात राणा जी कि फौज के लिए तलवारे बनायीं इसी समाज को आज गुजरात मध्यप्रदेश और राजस्थान में गड़लिया लोहार कहा जाता है मै नमन करता हूँ एसे लोगो को |
9.... हल्दी घाटी के युद्ध के 300 साल बाद भी वहाँ जमीनों में तलवारें पायी गयी। आखिरी बार तलवारों का जखीरा 1985 में हल्दी घाटी में मिला |
10..... श्री महाराणा प्रताप सिंह जी अस्त्र शस्त्र की शिक्षाष"श्री जैमल मेड़तिया जी" ने दी थी जो 8000 राजपूत वीरो को लेकर 60000 से लड़े थे। उस युद्ध में 48000 मारे गए थे जिनमे 8000 राजपूत और 40000 मुग़ल थे |
11.... श्री महाराणा प्रताप सिंह जी के देहांत पर अकबर भी रो पड़ा था |
12.... मेवाड़ के आदिवासी भील समाज ने हल्दी घाटी में अकबर की फौज को अपने तीरो से रौंद डाला था वो श्री महाराणा प्रताप को अपना बेटा मानते थे और राणा जी बिना भेद भाव के उन के साथ रहते थे आज भी मेवाड़ के राजचिन्ह पर एक तरफ राजपूत है तो दूसरी तरफ भील |
13..... राणा जी का घोडा चेतक महाराणा जी को 26 फीट का दरिया पार करने के बाद वीर गति को प्राप्त हुआ | उसकी एक टांग टूटने के बाद भी वह दरिया पार कर गया। जहा वो घायल हुआ वहीं आज खोड़ी इमली नाम का पेड़ है जहाँ पर चेतक की म्रत्यु हुई वहाँ चेतक मंदिर है |
14..... राणा जी का घोडा चेतक भी बहुत ताकतवर था उसके मुँह के आगे दुश्मन के हाथियों को भ्रमीत करने के लिए हाथी की सूंड लगाई जाती थी । यह हेतक और चेतक नाम के दो घोड़े थे |
15..... मरने से पहले श्री महाराणाप्रताप जी ने अपना खोया हुआ 85 % मेवाड फिर से जीत लिया था । सोने चांदी और महलो को छोड़ वो 20 साल मेवाड़ के जंगलो में घूमे |
16.... श्री महाराणा प्रताप जी का वजन 110 किलो और लम्बाई 7’5” थी, दो म्यानवाली तलवार और 80 किलो का भाला रखते थे हाथ मे
    
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